Zee Entertainment Shares: कई प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्मों ने जी एंटरटेनमेंट के शेयरधारकों से अपील किया है कि वे कंपनी के प्रमोटरों को 2,237 करोड़ रुपये में 16.9 करोड़ वारंट जारी करने के प्रस्ताव के खिलाफ वोट करें। इन फर्मों का कहना है कि इस प्रस्ताव में “कई गंभीर चिंताएं” छिपी हैं और यह पब्लिक शेयरधारकों के हितों के खिलाफ है। मनीकंट्रोल को पता चला है कि एडवाइजरी फर्मों ने कंपनी के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) पुनीत गोयनका को अधिक नियंत्रण दिए जाने पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इस कदम से कंपनी में पब्लिक शेयरधारकों की हिस्सेदारी काफी घट जाएगी।
Zee ने 16 जून को शेयर बाजारों को भेजी एक सूचना में बताया कि इस प्रस्तावित अलॉटमेंट से गोयनका और उनके परिवार की कंपनी में हिस्सेदारी 3.99 फीसदी से बढ़कर 18.39% हो जाएगी। शेयरधारकों को इस स्पेशल प्रस्ताव पर 6 जुलाई से 9 जुलाई के बीच वोटिंग करनी है।
प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्मों की यह चेतावनी इसलिए भी अहम है क्योंकि कंपनी के शेयरधारकों ने पिछले साल पुनीत गोयनका को दोबारा कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव को गिरा दिया था। एडवाइजरी फर्मों ने कबा कि कंपनी को फिलहाल किसी बड़ी पूंजी की जरूरत नहीं है और 31 मार्च 2025 तक के आंकड़ों के मुताबिक इसके पास 2,240 करोड़ रुपये नकदी और उसकी समकक्ष संपत्तिया थीं।
गोयनका पर नहीं है भरोसा
प्रॉक्सी फर्मों ने जोर देकर कहा है कि इस प्रस्ताव के जरिए पुनीत गोयनका को कंपनी पर और अधिक नियंत्रण मिलेगा, जबकि वे फिलहाल कंपनी के बोर्ड में भी शामिल नहीं हैं। इससे पब्लिक शेयरधारकों की कंपनी में हिस्सेदारी कम होगी।
प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म Ingovern ने 23 जून की एक रिपोर्ट में कहा, ” प्रस्तावित वारंट इश्यू से शेयरहोल्डिंग में काफी डाइल्यूशन और हाल के महीनों में कंपनी के सामने आई चुनौतियों को देखते हुए, यह प्रस्ताव अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हित में नहीं है। हम शेयरधारकों को इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने की सिफारिश करते हैं।”
एक दूसरी प्रॉक्सी फर्म IIAS ने भी इसी तरह की टिप्पणी की। उसकी रिपोर्ट में कहा गया, “पुनीत गोयनका की अगुआई में कंपनी को एक असफल मर्जर, रेगुलेटरी जांच (जिसमें SEBI की ओर से लगाए फंड डायवर्जन के आरोप भी शामिल हैं) और शेयरहोल्डर वैल्यू में गिरावट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। इसके बावजूद बोर्ड लगातार गोयनका का समर्थन करता रहा है और अब उन्हें फिर से कंपनी में मजबूत किया जा रहा है।”
मनीकंट्रोल ने इन दोनों रिपोर्ट की कॉपी देखी है।
बता दें कि मार्केट रेगुलेटर SEBI ने साल 2023 में जी के फाउंडर सुभाष चंद्रा और उनके बेटे पुनीत गोयनका पर फंड डायवर्जन के आरोप में अंतरिम आदेश जारी किया था। इस आदेश में दोनों को फंड डायवर्जन के लिए प्रारंभिक रूप से दोषी ठहराया गया था। हालांकि, बाद में सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने उस आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन जांच अब भी जारी है।
वारंट्स और निवेश की योजना
प्रस्ताव के मुताबिक, प्रमोटर इन वारंट्स को दो विदेशी संस्थाओं, सनब्राइज मॉरीशस इनवेस्टमेंट लिमिटेड और एल्टिलिस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के जरिए सब्सक्राइब करेंगे। प्रत्येक वारंट की कीमत ₹132 तय की गई है। कुल ₹2,237 करोड़ की रकम में से 25% यानी लगभग 574 करोड़ रुपये की राशि प्रमोटर एडवांस में देंगे। वहीं बाकी रकम 18 महीने बाद वारंट के शेयरों में बदलने पर देनी होगी।
कंपनी का कहना है कि पहले चरण की राशि का इस्तेमाल वह नए बिजनेसों को विकसित करने में करेगी। इनमें शॉर्ट वीडियो ऐप, बच्चों के लिए एजुकेशनल कंटेंट और लाइव कंटेंट प्लेटफॉर्म आदि शामिल हैं। वहीं, बाकी 75% रकम वारंट्स को भुनाने के बाद मिलेगा, जिसका इस्तेमाल मर्जर और अधिग्रहण (M&A) जैसे मौकों के लिए किया जाएगा। अब देखना होगा कि कंपनी के शेयरधारक इस प्रस्ताव पर क्या फैसला लेते हैं।
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Source: MoneyControl