Vedanta Shares: वेदांता के शेयर 7% तक क्रैश, एक रिपोर्ट से मच गई अफरातफरी, ‘पोंजी स्कीम’ जैसा बताया हाल

Vedanta Shares: अरबपति अनिल अग्रवाल की अगुआई वाली माइनिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी वेदांता लिमिटेड (Vedanta Ltd) के शेयरों में आज 9 जुलाई को 7 फीसदी तक की तेज गिरावट आई। यह गिरावट इस खबर के बाद आई कि शॉर्ट-सेलर कंपनी वायसराय रिसर्च (Viceroy Research) ने इसकी पैरेंट कंपनी वेदांता रिसोर्सेज के डेट को शॉर्ट किया है। वायसराय रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसे वेदांता रिसोर्सेज के कारोबार का संचालन किसी “पोंजी स्कीम जैसा दिखता है”। रिपोर्ट में वेदांता ग्रुप के स्ट्रक्चर को “आर्थिक रूप से अस्थिर, संचालन में कमजोर और पोंजी स्कीम जैसा” बताया गया है।

दोपहर 12:25 बजे के करीब, वेदांता लिमिटेड के शेयर 4.5% की गिरावट के साथ 435.6 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहे थे। कारोबार के दौरान शेयर एक समय 7% तक लुढ़क गया था। वहीं, वेदांता ग्रुप की एक दूसरी कंपनी हिंदुस्तान जिंक के शेयर करीब 2.6 फीसदी की गिरावट के साथ 425 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहे थे। इस गिरावट का असर निफ्टी मेटल इंडेक्स पर भी दिखा और यह 1.7% गिरकर कारोबार कर रहा था। वेदांता और हिंदुस्तान कॉपर इस इंडेक्स के टॉप लूजर्स थे।

वायसराय रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, “हमारी थीसिस एक सरल लेकिन एक बेहद अहम सिद्धांत पर आधारित है। वेदांत रिसोर्सेज लिमिटेड एक “परजीवी” होल्डिंग कंपनी है, जिसका अपना कोई मुख्य कारोबार नहीं है। यह पूरी तरह से अपने मरते हुए ‘मेजबान’वेदांता लिमिटेड से निकाली गई नकदी पर टिकी हुई है। यह खुद को ही खत्म करने वाला एक चक्र बनाता है।”

रिपोर्ट में आगे कहा गया, “वेदांता रिसोर्सेज बिना वेदांता लिमिटेड को लूटे हुए अपनी शॉर्ट-टर्म वितीय जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर सकती है। इससे वेदांता लिमिटेड का वित्तीय स्थिरता भी खतरे में पड़ सकती है क्योंकि वेदांता रिसोर्सेज ने अपने कर्ज के बदले इसके शेयरों को गिरवी रखा है। कंपनी की यह स्ट्रैटजी किसी पोंजी स्कीम जैसी है।”

रिपोर्ट में दावा किया है कि वेदांता का इंटरेस्ट खर्च उसकी ओर से बताई गई नोट दरों से कहीं अधिक है और कर्ज के भुगतान और रीस्ट्रक्चरिंग के बावजूद इसमें बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि वेदांता की कई ऑपरेटिंग सब्सिडियरीज में खर्चों को “सिस्टमेटिक तरीके से कैपिटलाइज” किया जा रहा है, जो इसके मुनाफे और एसेट वैल्यू में कृत्रिम रूप से इजाफा कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया, “यह एक गंभीर और भ्रामक प्रस्तुतीकरण है।”

वित्त वर्ष 2024-25 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, वेदांता रिसोर्सेज का स्टैंडअलोन नेट डेट 4.9 अरब डॉलर था। वायसराय रिसर्च ने कहा कि वेदांता रिसोर्सेज “सिस्टमेटिक तरीके से” वेदांता लिमिटेड को खाली कर रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, वेदांता रिसोर्सेज ने वित्त वर्ष 2021 से अब तक अपने ग्रॉस कर्ज को 3.6 अरब डॉलर (करीब 42%) तक घटाया है, लेकिन इसके बावजूद कंपनी का इफेक्टिव ब्याज दर 6.4% से बढ़कर 15.8% हो गया है। यानी करीब 145% की बढ़ोतरी, जिसे किसी भी कैलकुलेशन से सही नहीं ठहराया जा सकता है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वेदांता रिसोर्सेज के पास कोई भी ऑपरेटिंग फ्री कैश फ्लो नहीं है, और वह अपने ब्याज और मूलधन भुगतान की जिम्मेदारियां को पूरा करने के लिए पूरी तरह से वेदांता से मिलने वाले डिविडेंड और ‘ब्रांड फीस’ पर निर्भर हैं। यह न तो टिकाऊ हैं और न ही ऊचित तरीके से किया गया सौदा। शॉर्ट सेलर फर्म ने कहा कि वेदांता रिसोर्सेज की ‘लूट’ के कारण वेदांता लिमिटेड के कैपिटल स्ट्रक्चर पर भारी दबाव है।

अनिल अग्रवाल पर गंभीर आरोप

वायसराय रिसर्च ने वेदांता ग्रप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। वाइसराय ने कहा, “अनिल अग्रवाल अक्सर काल्पनिक संपत्ति की बिक्री की घोषणा करते ब्रिज फाइनेंसिंग जुटाते रहे हैं। वेदांता के पिछले एक्शन से भी वेदांता रिसोर्सेज को नकदी भेजने की हताशा भरी कोशिशें साफ दिखती है। इस प्रक्रिया में कई बार कंपनी के डायरेक्टर्स और अल्पसंख्यक शेयरधारकों भी दरकिनार कर दिया जाता है।”

हिंदुस्तान जिंक को बताया फाइनेंशियल फील्ड

वायसराय रिसर्च ने वेदांता की सहयोगी कंपनी हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) का भी रिपोर्ट में जिक्र किया और इसे एक “लीगल और फाइनेंशियल माइनफील्ड” बताया। रिपोर्ट में कहा गया है, “हिंदुस्तान जिंक सिर्फ एक मुश्किल में फंसी कंपनी नहीं है, बल्कि यह एक लीगल और फाइनेंशियल माइनफील्ड है। इसका बिजनेस कॉन्ट्रैक्ट्स के उल्लंघनों, नियामकीय उल्लंघनों और रिलेटेड पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए की गई ट्रांजैक्शन में उलझा हुई है, जिसका उद्देश्य भारतीय जनता को नुकसान की कीमत पर वैल्यू निकालना है।”

बता दें कि वायसराय रिसर्च को वायरकार्ड (Wirecard) और स्टाइनहॉफ (Steinhoff) जैसी कंपनियों में धोखाधड़ी उजागर करने के लिए जाना जाता है।

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Source: MoneyControl