ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक Griffith ने हाल ही में Vedanta Resources से इस्तीफा दिया है.कंपनी ने अभी तक कोई ऑफिशियल कारण नहीं बताया है और ना ही उनके रिप्लेसमेंट की घोषणा की गई है.उन्होंने भी इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया.
Griffith के इस्तीफे के साथ ही कंपनी पर एक नई मुश्किल और आ गई है.Viceroy Research नाम की शॉर्ट सेलिंग फर्म ने Vedanta Resources की डेट स्ट्रक्चर पर सवाल उठाते हुए रिपोर्ट जारी की थी. रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनी का कॉर्पोरेट ढांचा “कर्जदाताओं के लिए अनदेखा खतरा है.
इस रिपोर्ट के बाद Vedanta के शेयरों में एक दिन पहले 3.4% की गिरावट आई थी, हालांकि अगली सुबह स्टॉक ज़्यादा नहीं हिला.
Vedanta का जवाब –कंपनी ने Viceroy की रिपोर्ट को “गलत जानकारी और बेबुनियाद आरोपों का मिलाजुला जहर” बताया है.spokesperson ने कहा, “हम बिज़नेस और ग्रोथ पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. कृपया अटकलें लगाने से बचें.”
शेयर खरीदने वालों को लिए-
अगर आपने Vedanta Ltd. के शेयर लिए हैं-Chris Griffith जैसे अनुभवी अधिकारी का इस्तीफा, खासकर तब जब कंपनी पहले से कर्ज संकट में है, चिंता बढ़ाता है.ये संकेत देता है कि अंदरूनी प्रबंधन में अस्थिरता है और शायद कंपनी को अपने अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशन्स को लेकर रणनीतिक बदलाव करने पड़ें.
क्या कर्ज का बोझ वाकई गंभीर है
Vedanta की हिंदुस्तान जिंक, BALCO, और अन्य अधिग्रहणों के चलते भारी कर्ज बना हुआ है.ऐसे में कोई भी निगेटिव खबर—चाहे रिपोर्ट हो या टॉप एग्जिक्यूटिव का इस्तीफा—बॉन्डहोल्डर्स और निवेशकों के भरोसे पर असर डाल सकती है.
शॉर्ट टर्म में शेयरों पर दबाव बना रह सकता है, खासकर अगर मार्केट और खबरें निगेटिव बनी रहीं.लॉन्ग टर्म निवेशकों को चाहिए कि वे कंपनी के कर्ज चुकाने की रणनीति और लीडरशिप में बदलाव को ध्यान से ट्रैक करें.
Vedanta Resources में टॉप लेवल का इस्तीफा ऐसे समय आया है जब कंपनी पहले से कर्ज के बोझ तले दबी हुई है. ऊपर से Viceroy Research की निगेटिव रिपोर्ट ने माहौल और तनावपूर्ण बना दिया है. निवेशकों के लिए यह वक्त सतर्क रहने का है — न सिर्फ शेयर की चाल पर, बल्कि कंपनी के मैनेजमेंट की हर गतिविधि पर भी नजर रखने का.
Source: CNBC