Wall Street Slowdown: साल 2025 की पहली छमाही में अमेरिकी शेयर बाजार ने उतार-चढ़ाव के बीच नई ऊंचाइयों को छुआ, लेकिन अब दूसरी छमाही की शुरुआत के साथ ही विशेषज्ञ सतर्क हो गए हैं। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले महीनों में पांच बड़े जोखिम ऐसे हैं जो वॉल स्ट्रीट की रफ्तार को धीमा कर सकते हैं और इसका असर भारत जैसे उभरते बाजारों पर भी पड़ सकता है।
1. टैरिफ डेडलाइन का दबाव
9 जुलाई तक अमेरिका को अपने प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के साथ टैरिफ समझौते करने हैं। अगर समय पर डील नहीं हुई, तो कई देशों के उत्पादों पर 10% से ज्यादा शुल्क लग सकता है। ट्रंप प्रशासन की कनाडा के साथ डील तोड़ने की धमकी ने निवेशकों को और सतर्क कर दिया है।
2. कॉरपोरेट मुनाफे में गिरावट की आशंका
हालिया महीनों में कंपनियों के अच्छे नतीजों ने बाजार को सहारा दिया, लेकिन दूसरी तिमाही में कमजोर कमाई की आशंका जताई जा रही है। सर्वे के मुताबिक, कई CEO hiring और खर्च को लेकर नकारात्मक रुख अपना रहे हैं।
3. भू-राजनीतिक अनिश्चितता बरकरार
इजरायल-ईरान संघर्षविराम से थोड़ी राहत मिली है, लेकिन ईरान के परमाणु कार्यक्रम और अमेरिका-चीन के बीच तकनीकी तनाव अब भी चिंता का विषय हैं। निवेशक इन मुद्दों पर अमेरिका की रणनीति को लेकर असमंजस में हैं।
4. अमेरिका का बढ़ता कर्ज
फेडरल रिजर्व की भूमिका ट्रंप की नई टैक्स और खर्च नीतियों से अमेरिका का कर्ज कई ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है। साथ ही, फेडरल रिजर्व के अगले चेयरमैन को लेकर अनिश्चितता भी बाजार में अस्थिरता ला सकती है।
5. बाजार की ऊंची वैल्यूएशन और निवेशकों की चिंता
निवेशकों की सतर्कता और वैल्यूएशन का दबाव बाजार की मौजूदा वैल्यूएशन को लेकर कई बड़े निवेशक पहले ही सतर्क हो चुके हैं। उनका मानना है कि अगर इन जोखिमों में से कोई भी गहराया, तो बाजार में तेज गिरावट संभव है।
दूसरी छमाही में अमेरिकी शेयर बाजार को कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। भारत जैसे बाजारों के लिए यह वक्त सतर्कता बरतने का है, क्योंकि वैश्विक अस्थिरता का असर घरेलू निवेश धारणा पर भी पड़ सकता है।
Source: Mint