प्री-2025: 2.7%
टैरिफ पॉज़ पीरियड: 13.2%
अब: 42.4% हो जाएगा
CITI का मॉडल बताता है कि इससे भारत की सालाना ग्रोथ में 0.6–0.8 फीसदगी की गिरावट आ सकती है. लेकिन असली असर इससे ज़्यादा हो सकता है, क्योंकि इतने ज्यादा टैरिफ पर अधिकतर एक्सपोर्ट्स ‘अनवायबिल’ (अव्यवहारिक) हो सकते हैं.इससे करंट अकाउंट और कैपिटल फ्लो दोनों पर असर पड़ेगा और रुपया पर दबाव बढ़ सकता है.RBI स्थिति को कंट्रोल करने के लिए फॉरेक्स मार्केट में हस्तक्षेप कर सकता है.
CITI का मानना है कि भारत-अमेरिका आर्थिक साझेदारी को बनाए रखने के लिए इस टैरिफ टेंशन का तेज़ समाधान जरूरी है.
शेयर बाजार: किन सेक्टर्स पर असर?
CITI के अनुसार:-जब तक बातचीत चल रही है, तब तक शेयर बाजार की सेंटिमेंट पर इसका नकारात्मक प्रभाव रह सकता है.
डिफेंसिव सेक्टर जैसे टेलीकॉम, हॉस्पिटल, एफएमसीजी (स्टेपल्स) और इंश्योरेंस जैसे सेक्टर्स में थोड़ी स्थिरता रह सकती है.
Jefferies की राय: डील अभी भी हो सकती है
महेश नंदुरकर (Jefferies) के अनुसार:-अमेरिका ने पहले से ही 25% टैरिफ के ऊपर एक और 25% टैरिफ लगाया है, जिसकी वजह भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना बताई गई है.
रूस से तेल की खरीद को बदलने का डायरेक्ट फाइनेंशियल इंपैक्ट भारत की GDP का 0.15% से भी कम है.
पिछले एक हफ्ते में क्रूड मार्केट में कोई खास उछाल नहीं आया है, जिससे संकेत मिलता है कि आपूर्ति की स्थिति स्थिर है.
डील को रोकने वाले असली मसले डेयरी और एग्रीकल्चर सेक्टर पर अमेरिकी मांगें हैं.फिर भी Jefferies को उम्मीद है कि आखिरकार भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौता हो सकता है.
किन कंपनियों और सेक्टर्स पर हो सकता है असर?
टैरिफ और क्रूड सोर्सिंग में बदलाव का प्रभाव इन सेक्टर्स और कंपनियों पर हो सकता है:
ऑटो कंपोनेंट्स: SONACOMS, BHFC
कैपिटल गुड्स: Cummins, Thermax, KEI
केमिकल्स: Navin, PI, SRF
इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग: DIXON, SYRMA
फार्मा: Biocon, Sun Pharma, Dr Reddy’s, Zydus, Gland, Lupin, Cipla
रिफाइनरी: RIL, HPCL, IOCL, BPCL
सोलर: WAAREE
टेक्सटाइल्स: Welspun Living
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Source: CNBC