क्या है इंडस्ट्री की मांग
इंडस्ट्री को उम्मीद है कि फेस्टिव सीजन की मांग और नए बाजारों की मदद से टैरिफ का असर कुछ कम हो सकता है. इंडस्ट्री की उम्मीद है जीएसटी में राहत से भी स्थिति कुछ बेहतर हो सकती है. हालांकि इसके साथ इंडस्ट्री सरकार से सब्सिडी के रूप में कुछ राहत की भी मांग कर रही है जिससे बाजार में बने रहा जा सके.
नोएडा स्थित Meenu Creation LLP के चेयरमैन और एपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (AEPC) की कार्यकारिणी समिति के सदस्य अनिल पेशावरी ने बताया कि भारत को बांग्लादेश, वियतनाम, इंडोनेशिया और श्रीलंका जैसे देशों के निर्यातकों की तुलना में 30% शुल्क असमानता झेलनी पड़ रही है, जबकि इन देशों पर अमेरिका में केवल 18–20% शुल्क लगता है.
उन्होंने कहा कि भारत का निर्यात वैसे ही खरीदारों के लिए 30% महंगा पड़ रहा है. सरकार को कम से कम 10% प्रत्यक्ष सब्सिडी देनी चाहिए, ताकि इस अंतर को कुछ हद तक पूरा किया जा सके. उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में कंपनियों के लिए अपने कर्मचारियों को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है.
पेशावरी ने बताया कि भारत के 30% वस्त्र निर्यात अमेरिका को जाते हैं, उद्योग केवल इस कमी का एक-तिहाई हिस्सा ही दूसरे बाज़ारों से पूरा कर सकता है. इससे दबाव बढ़ सकता है.
टैरिफ ने बढ़ाई अनिश्चितता
भारत के टैक्सटाइल और अपेरल इंडस्टी का देश की जीडीपी में 2.3 फीसदी का योगदान है इसके साथ औद्योगिक उत्पादन में 13 फीसदी और निर्यात में 12 फीसदी का योगदान है. ये कृषि सेक्टर के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला सेक्टर है. फिलहाल पूरा सेक्टर अनिश्चितताओं का सामना कर रहा है क्योंकि सेक्टर का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट अमेरिका है जिसने भारत पर कुल मिलाकर 50 फीसदी शुल्क लगाया है.
Source: CNBC