Tata Communications के मैनेजिंग डायरेक्टर, ए एस लक्ष्मीनारायणन ने बताया कि इस रकम में 276.68 करोड़ रुपये उन कटौतियों से संबंधित हैं, जो कंपनी ने अलग-अलगा लाइसेंस के तहत दावा किया था, लेकिन टेलीकॉम विभाग ने इन्हें स्वीकार नहीं किया था.
बकाये में क्या – क्या शामिल?
उन्होंने कहा, “30 जून 2025 तक, कंपनी को टेलीकॉम विभाग से 7,827.55 करोड़ रुपये के नोटिस मिले हैं, जो कारोबारी साल 2005-06 से 2023-24 तक के हैं.” इसमें इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) लाइसेंस के लिए 2010-11 और राष्ट्रीय लंबी दूरी (NLD) लाइसेंस के लिए 2006-07 और 2009-10 के दावे शामिल हैं.
कई मामले सुप्रीप कोर्ट में अटके
कंपनी ने कहा कि इसके अंतरराष्ट्रीय लंबी दूरी (ILD), NLD, और ISP लाइसेंस से संबंधित अपील सुप्रीम कोर्ट और टेलीकॉम डिस्प्यूट्स सेटलमेंट एंड अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) में लंबित हैं.
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कंपनी के लिए क्या है आगे का रास्ता?
लक्ष्मीनारायणन ने साफ किया कि ये अपील 24 अक्टूबर 2019 के सुप्रीम कोर्ट के AGR फैसले से जुड़ी नहीं हैं, जो यूनिफाइड एक्सेस सर्विस लाइसेंस (UASL) वाली कंपनियों पर लागू था. उन्होंने कहा, “हमारे सभी लाइसेंस UASL से अलग हैं. कंपनी का मानना है कि अपनी स्थिति को कानूनी राय और आकलन के आधार पर बचाव कर पाएगी.”
टेलीकॉम कंपनियों का कितना बकाया?
सरकार के पहले के अनुमान के अनुसार, 2018-19 तक टेलीकॉम कंपनियों पर कुल 1.65 लाख करोड़ रुपये का AGR बकाया था. इसमें Vodafone Idea पर 59,236.63 करोड़, Bharti Airtel पर 31,280 करोड़, BSNL पर 16,224 करोड़, MTNL पर 5,009.1 करोड़ और Reliance Jio पर 631 करोड़ रुपये शामिल थे. उस लिस्ट में Tata Communications का बकाया शामिल नहीं था.
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Source: CNBC