इस साल की शुरुआत में स्टॉक मार्केट्स डगमगा रहे थे। डॉलर में मजबूती, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली और टैरिफ वॉर का असर स्टॉक मार्केट्स पर पड़ रहा था। बाद में टैरिफ को लेकर अमेरिका के नरमी दिखाने के बाद मार्केट्स में रिकवरी आई। इधर, पाकिस्तान के साथ सीजफायर का पॉजिटिव असर भी मार्केट्स पर दिखा। अब आरबीआई ने रेपो रेट 50 बेसिस प्वाइंट्स घटा दिया है। रेपो रेट में 25 फीसदी कमी का अनुमान था। सिर्फ यही नहीं आरबीआई ने सीआरआर यानी कैश रिजर्व रेशियो भी एक फीसदी कम कर दिया है। सवाल है कि क्या इससे मार्केट में तेजी का नया दौर शु्रू होने वाला है?
2025 में स्टॉक मार्केट में काफी ज्यााद उतारचढ़ाव
2025 में स्टॉक मार्केट्स में काफी उतारचढ़ाव देखने को मिला है। इसकी बड़ी वजह विदेश से आने वाली खबरें थीं। अमेरिका में मंदी का खतरा, इकोनॉमी ग्रोथ सुस्त पड़ने का असर और इधर इंडिया में विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने बाजार को गिरने पर मजबूर कर दिया। इंडियन मार्केट्स ने पिछले साल सितंबर के आखिर में ऊंचाई के नए रिकॉर्ड बनाए थे। उसके बाद से मार्केट में गिरावट का दौर शुरू हो गया। मार्च तक मार्केट सितंबर के अपने हाई से 16 फीसदी तक नीचे आ गए थे।
ग्रोथ बढ़ाने के लिए सरकार ने उठाए कई कदम
हालांकि, सरकार ने इकोनॉमी में डिमांड बढ़ाने के लिए बड़े कदम उठाए हैं, जिनका अच्छा असर शेयर बाजार पर भी पड़ा है। 1 फरवरी को पेश यूनियन बजट में सरकार ने इकोनॉमी को सहारा देने के लिए करीब 1 लाख करोड़ रुपये की राहत लोगों को दी। इनमें 12 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स से छूट का फैसला भी शामिल है। फरवरी में आरबीआई ने भी रेपो रेट में कमी का सिलसिला शुरू किया। फरवरी में उसने रेपो रेट 25 बीपीएस बढ़ाया। उसके बाद से उसने दो बार पहले 25 बीपीएस और फिर 50 बीपीएस की कमी रेपो रेट में कमी है। सीआरआर में कमी से बैंकिंग सिस्टम 2.5 लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है।
लंबी अवधि के निवेशकों को मार्केट में बने रहने की सलाह
एक्सपर्ट्स का कहना है कि लंबी अवधि के निवेशक मार्केट में बने रह सकते हैं। गिरावट के मौके का इस्तेमाल वे शेयरों में निवेश बढ़ाने के लिए कर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि निफ्टी में अब भी 22 गुना पीई पर ट्रेडिंग हो रही है, जो इसके 20.7 गुना के लंबी अवधि के औसत पीई के मुकाबले ज्यादा है। दूसरा, बॉन्ड यील्ड और अर्निंग्स यील्ड के बीच के फर्क के विश्लेषण से भी कुछ संकेत मिले हैं। जब बाजार अपने निचले स्तर पर होता है तो यह फर्क कम हो जाता है। जब बाजार ऑल-टाइम हाई पर होता है तो यह फर्क बढ़ जाता है। 18 साल के डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि निफ्टी का अभी का लेवल 24,150 होना चाहिए।
निफ्टी 4 फीसदी ऊपर या नीचे जा सकता है
इस हिसाब से निफ्टी 24,150 प्वाइंट्स के करीब बना रह सकता है। तेजी की स्थिति में यह 26,000 तक जा सकता है। इसका मतलब है कि मौजूदा स्तर से यह 4 फीसदी तक चढ़ सकता है। अगर विदेश से खराब खबरें आती हैं तो निफ्टी में 4 फीसदी की गिरावट आ सकती है। इस बीच, अच्छी वैल्यूएशन वाले स्टॉक्स में गिरावट पर खरीदारी की जा सकती है।
Source: MoneyControl