Stock Market News: रिपोर्ट का दावा- यहां से भारत के बाजारों में FIIs यानी विदेशी निवेशक भारी बिकवाली करेंगे!..लेकिन

डोनल्ड ट्रंप के टैरिफ वार का एक और साइड इफेक्ट सामने आया है. HSBC का कहना है कि अगर अमेरिका-भारत के बीच टैरिफ विवाद और बढ़ा, तो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारत से दूरी बना सकते हैं. लेकिन यह भी उतना ही सच है कि दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे बाजारों की रैली अगर थमती है, तो पैसा दोबारा भारत की ओर लौट सकता है.

आपको बता दें कि एफआईआई यानी विदेशी संस्थागत निवेशकों ने जुलाई में 47,666.68 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी. वहीं, अब अगस्त महीने में (4 सत्र अभी तक हुए है) करीब -10,954.49 करोड़ रुपये की भारी बिकावली कर डाली है. ये पिछले महीने के शुरुआती दिनों की तुलना में काफी ज्यादा है.
वहीं, साल 2025 के जनवरी महीने में करीब -87,374.66 करोड़ रुपये और फरवरी में 58,988.08 करोड़ रुपये की बिकवाली की.

HSBC ने कहा-
टैरिफ बनेंगे FPI के लिए बहाना: HSBC ने कहा है कि अतिरिक्त टैरिफ का मुद्दा भारत से पैसे निकालने के लिए FPI का ‘जस्टिफिकेशन’ बन सकता है.

दूसरे एशियाई बाजारों की तरफ झुकाव: इससे FPI फंड्स दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे एशियाई बाजारों में शिफ्ट हो सकते हैं.लेकिन ये रैली हमेशा नहीं टिकेगी:
HSBC का मानना है कि कोरिया और ताइवान की मौजूदा रैली भी किसी मोड़ पर फिसल सकती है.
लेकिन भारत में फिर आ सकता है पैसा-जब ये बाजार थकेंगे, तो निवेशकों के लिए भारत एक बार फिर आकर्षक गंतव्य बन सकता है.
क्या करें निवेशक-
अभी बाजार में टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितता बनी हुई है, इसलिए छोटी अवधि में उतार-चढ़ाव हो सकता है.लेकिन HSBC की बात से साफ है कि भारत की लांग टर्म स्टोरी बरकरार है, और फंड्स वापस आ सकते हैं.
रिटेल इनवेस्टर्स को panic selling से बचना चाहिए और स्ट्रॉन्ग स्टॉक्स या सेक्टर्स में टिके रहना चाहिए.
ट्रंप के टैरिफ आज चिंता की वजह हैं, लेकिन कल वही विदेशी निवेश को भारत लौटाने का मौका भी बन सकते हैं. बाजार की चाल में लय भी है, मौका भी. बस पोजिशन सही होनी चाहिए.

Source: CNBC