ये बदलाव क्यों
फंड मैनेजर्स का कहना है कि ये कोई स्थायी या स्ट्रक्चरल बदलाव नहीं है. यह केवल एक “टैक्टिकल शिफ्ट” है यानी शॉर्ट टर्म री-बैलेंसिंगन है.
कई बड़ी एएमसी (Asset Management Companies) जैसे Quant, ICICI Prudential, Kotak, Axis और Nippon ने जून में प्राइवेट बैंकों में हिस्सेदारी घटाई. वहीं Franklin Templeton और Mirae ने हल्की बढ़ोतरी की.
लिक्विडिटी और NIM पर असर
पिछले 12–15 महीनों में प्राइवेट बैंकों को लिक्विडिटी की परेशानी रही, लेकिन अब ब्याज दरों में कटौती के बाद हालात सुधर रहे हैं.
पर लोन रेट जल्दी गिरते हैं जबकि डिपॉजिट रेट धीरे-धीरे घटते हैं, जिससे अगले कुछ महीनों में नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) पर दबाव रह सकता है.
क्या कहते हैं जानकार
Bandhan AMC के Harshvardhan Agrawal का कहना है कि “अभी सिर्फ दो महीनों का डेटा है, ये टेम्पररी शिफ्ट हो सकते हैं. लॉन्ग टर्म में प्राइवेट बैंक मजबूत हैं.”
Kotak AMC की Shibani Sircar Kurian का मानना है कि FY27 तक प्राइवेट बैंकों की स्थिति और मजबूत होगी. डिपॉजिट और लोन दोनों में मार्केट शेयर बढ़ रहा है.
बाजार में बैंक स्टॉक्स स्थिर
म्यूचुअल फंड्स के अलोकेशन घटने के बावजूद जून महीने में बैंक स्टॉक्स मजबूत रहे.Nifty Bank Index जून में हल्का ऊपर बंद हुआ. Q1 FY26 में बैंकों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट साल-दर-साल 24% और तिमाही-दर-तिमाही 13% बढ़ा है.
वैल्यूएशन अब भी आकर्षक-
ज्यादातर फंड मैनेजर्स मानते हैं कि अभी के वैल्यूएशन लॉन्ग टर्म निवेश के लिए अच्छे हैं.FY26 के लिए प्राइवेट बैंक 1.5x से 2.2x बुक वैल्यू पर ट्रेड कर रहे हैं, जो उनके लॉन्ग टर्म एवरेज से कम या बराबर है.
कुल मिलाकर-फिलहाल प्राइवेट बैंकों में म्यूचुअल फंड्स की हिस्सेदारी में जो गिरावट दिख रही है, वो सिर्फ एक रणनीतिक (टैक्टिकल) बदलाव है. लंबे समय में फंड मैनेजर्स इन बैंकों की ग्रोथ स्टोरी पर भरोसा बनाए हुए हैं.
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Source: CNBC