Stock Market Alert: शेयर बाजार के इतिहास का सबसे कमजोर FII लॉन्ग-शॉर्ट रेश्यो- क्या इससे डरना है?

शेयर बाजार में इस बार सितंबर सीरीज़ की शुरुआत बेहद दिलचस्प हो गई है. FII का लॉन्ग-शॉर्ट रेश्यो इतिहास में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है और नेट एक्सपोज़र माइनस में है. निफ्टी और बैंक निफ्टी में आक्रामक शॉर्ट रोलओवर दिख रहा है, जिससे सवाल उठ रहा है कि क्या अब शॉर्ट कवरिंग की रैली देखने को मिलेगी. अगर इतिहास देखें तो जब-जब लॉन्ग एक्सपोज़र इतना नीचे गया है, उसके बाद निफ्टी ने अगले कुछ सीरीज़ में मजबूत रैली दी है.

5 बड़े पॉइंट्स निवेशकों के लिए

इतिहास में सबसे कम लॉन्ग एक्सपोज़र-सितंबर सीरीज़ की शुरुआत में FIIs का इंडेक्स फ्यूचर्स में सिर्फ 8% लॉन्ग एक्सपोज़र है, जो अब तक का सबसे कम है. नेट एक्सपोज़र -1.68 लाख कॉन्ट्रैक्ट्स पर है.
निफ्टी और बैंक निफ्टी रोलओवर-निफ्टी का रोलओवर 84% और बैंक निफ्टी का 81% रहा है, जो 3 महीने के औसत से ज्यादा है. मतलब है कि शॉर्ट पोजिशन आक्रामक तरीके से अगले सीरीज़ में भी ले जाई गई हैं.

ओपन इंटरेस्ट (OI) हाई लेवल पर-निफ्टी का OI सीरीज़ की शुरुआत में 1.6 करोड़ शेयरों पर है, जो 3 महीने के औसत 1.44 करोड़ से ज्यादा है. ये बताता है कि शॉर्ट पोजिशन ज्यादा बनी हुई हैं.
इतिहास पर नज़र डालते है-अप्रैल 2023 में जब लॉन्ग एक्सपोज़र 9% था, निफ्टी ने अगले 4 सीरीज़ में 2579 पॉइंट्स की रैली दी थी. नवंबर 2023 में 11% लॉन्ग पर, अगले 2 सीरीज़ में 2921 अंक की तेजी आई.
फरवरी 2025 में 11% पर, अगले 5 सीरीज़ में 2300 पॉइंट्स ऊपर गया.
शॉर्ट पोजिशन ज्यादा बनने से निकट भविष्य में शॉर्ट कवरिंग रैली की संभावना बढ़ जाती है. हालांकि, FII की बिकवाली और ग्लोबल मैक्रो (टैरिफ, डॉलर इंडेक्स, दरें) पर नजर रखना जरूरी होगा.यह सेटअप बताता है कि निफ्टी 24,500–24,600 ज़ोन पर मजबूत सपोर्ट बना सकता है और शॉर्ट कवरिंग से ऊपर की ओर तेज़ मूव संभव है.

FII Long-Short Ratio क्या होता है-ये एक डेटा पॉइंट है जो बताता है कि विदेशी निवेशक (FII – Foreign Institutional Investors) इंडेक्स फ्यूचर्स (Nifty और Bank Nifty) में कितनी लॉन्ग (खरीदारी वाली) और कितनी शॉर्ट (बेचने वाली) पोज़िशन में हैं.मतलब अगर FIIs के पास 100 कॉन्ट्रैक्ट्स हैं और उसमें से 40 लॉन्ग हैं व 60 शॉर्ट हैं, तो लॉन्ग-शॉर्ट रेश्यो = 40% होगा.
इसका मतलब निवेशकों के लिए क्या है
हाई Long-Short Ratio (60–70% से ऊपर)-इसका मतलब FIIs बाजार पर बुलिश हैं. यानी उन्हें लगता है कि बाजार ऊपर जाएगा. निवेशकों के लिए पॉजिटिव सिग्नल.
बहुत कम Long-Short Ratio (10–15% से नीचे)-इसका मतलब FIIs ने ज़्यादातर शॉर्ट पोज़िशन बनाई हैं. यानी उन्हें लगता है बाजार गिर सकता है. लेकिन ध्यान रहे – अक्सर इतना ज़्यादा शॉर्ट पोज़िशन बनना शॉर्ट कवरिंग रैली की भी वजह बन जाता है.
मध्यम स्तर (30–50%)-ये न्यूट्रल ज़ोन है, मतलब FIIs ज्यादा बुलिश भी नहीं हैं और ज्यादा बियरिश भी नहीं.
अभी क्या स्थिति है-सितंबर सीरीज़ की शुरुआत में FIIs का लॉन्ग-शॉर्ट रेश्यो सिर्फ 8% है – यानी इतिहास का सबसे कम. इसका सीधा मतलब है कि FIIs बहुत शॉर्ट हैं. लेकिन ये भी सच है कि जब इतना शॉर्ट बिल्ड-अप होता है, तो थोड़ा भी पॉजिटिव न्यूज़ आते ही शॉर्ट कवरिंग से तेज़ उछाल देखने को मिलता है.
लॉन्ग-शॉर्ट रेश्यो हमें बताता है कि बड़े विदेशी निवेशक किस मूड में हैं – बुलिश या बियरिश. लेकिन अगर ये बहुत एक्सट्रीम लेवल पर हो, तो उल्टा मूव (शॉर्ट कवरिंग या लॉन्ग अनवाइंडिंग) भी हो सकता है.

Source: CNBC