निवेशकों की निकासी की बड़ी वजहें
1. डॉलर की मजबूती- अमेरिकी डॉलर मजबूत होने से निवेशक बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं.
2. US Tariff Concerns- डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसलों से अनिश्चितता और बढ़ गई है.
3. भू-राजनीतिक तनाव- वैश्विक स्तर पर लगातार तनाव से निवेशक सुरक्षित बाजारों की ओर भाग रहे हैं.
4. भारत में ऊंचे वैल्यूएशन- भारतीय शेयर अन्य उभरते बाजारों की तुलना में प्रीमियम पर ट्रेड हो रहे हैं, इसलिए निवेशकों ने मुनाफावसूली की.
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Angel One के सीनियर एनालिस्ट Vaqarjaved Khan ने कहा कि आने वाले हफ्ते में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां, लेबर मार्केट डेटा, और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का रुख एफपीआई आउटफ्लो को तय करेगा. वहीं, Morningstar के हिमांशु श्रीवास्तव ने उम्मीद जताई कि भारत की स्ट्रक्चरल ग्रोथ स्टोरी, जीएसटी सुधार (GST Reforms) और अर्निंग्स रिवाइवल जैसी बातें आगे चलकर FPI को वापसी के लिए आकर्षित कर सकती हैं.
Geojit Investments के वीके विजयकुमार ने कहा कि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) की ओर से बड़े पैमाने पर खरीदारी ने FPI को ऊंचे दामों पर शेयर बेचकर पैसा सस्ते बाजारों, जैसे चीन, हांगकांग और दक्षिण कोरिया में लगाने का मौका दिया है. इसी दौरान FPI ने 1,978 करोड़ रुपये डेट जनरल लिमिट में निवेश किए, जबकि डेट वॉलंटरी रिटेंशन रूट से 993 करोड़ रुपये निकाले. कुल मिलाकर, विदेशी निवेशकों की आक्रामक बिकवाली ने बाजार में अस्थिरता बढ़ाई है, लेकिन घरेलू मांग और सरकारी सुधारों की वजह से लंबी अवधि का दृष्टिकोण अभी भी सकारात्मक माना जा रहा है.
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Source: CNBC