Stock market: वर्ल्ड के सबसे बड़े हेज फंड ने चीन की मार्केट में सबसे बड़ी बिकवाली- भारत और दुनिया पर होगा असर

सीएनबीसी इंटरनेशनल की खबर के मुताबिक- दुनिया के सबसे बड़े हेज फंड्स में से एक Bridgewater Associates ने 2024 की दूसरी तिमाही में अमेरिकी एक्सचेंजों पर लिस्टेड चीनी कंपनियों में अपने निवेश में बड़ी कटौती की है. इसका मतलब है कि फंड अब चीन पर दांव लगाने में सतर्क हो रहा है.आपको बता दें कि हेज फंड (Hedge Fund)- एक तरह का प्राइवेट इन्वेस्टमेंट फंड होता है, जो चुनिंदा और आमतौर पर बड़े निवेशकों (High Net-worth Individuals – HNIs) या संस्थागत निवेशकों से पैसा जुटाता है.इनका मकसद है ज्यादा से ज्यादा रिटर्न कम से कम समय में हासिल करना.ये पारंपरिक म्यूचुअल फंड या पब्लिक फंड की तुलना में कम रेगुलेटेड होते हैं, यानी इन पर नियम-कायदे थोड़े ढीले होते हैं.

कौन-कौन से निवेश से निकली रकम
ब्रिजवॉटर ने इन प्रमुख चीनी कंपनियों से पूरी तरह निकाल ली है.

Alibaba
Baidu
JD.com
PDD Holdings
Nio
Trip.com Group
Yum China
Qifu Technology
Ke Holdings
इसके अलावा, फंड ने Apple में अपनी हिस्सेदारी कम की, जबकि Microsoft और Nvidia में निवेश बढ़ाया.
ब्रिजवॉटर के फाउंडर Ray Dalio लंबे समय से चीन के समर्थक रहे हैं. हालांकि, उन्होंने अप्रैल 2024 में माना था कि अमेरिका-चीन टकराव और गिरती कीमतें चीन के लिए चुनौती हैं.
फिर भी उनका मानना था कि अगर चीनी नेतृत्व सही कदम उठाए तो इन समस्याओं को संभाला जा सकता है.
इस साल अगस्त की शुरुआत में डेलियो ने ब्रिजवॉटर में अपनी बची हुई हिस्सेदारी भी बेच दी और बोर्ड से हट गए, लेकिन निवेश टीम के मेंटर बने रहेंगे.
ट्रेड वार का असर-सोमवार को अमेरिका और चीन ने टैरिफ ट्रूस (tariff truce) को 90 दिन के लिए बढ़ा दिया.अगर ऐसा न होता, तो अमेरिका के चीन आयात पर टैरिफ 30% से बढ़कर 145% और चीन के अमेरिकी आयात पर टैरिफ 10% से बढ़कर 125% हो जाता. फिलहाल दोनों देशों के बीच कारोबारी तनाव कुछ कम हुआ है, लेकिन अनिश्चितता बरकरार है.

भारत और ग्लोबल मार्केट के लिए संकेत
ग्लोबल निवेश ट्रेंड: बड़े फंड्स का चीन से निकलना, भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए पूंजी प्रवाह का अवसर बढ़ा सकता है.
टेक और मैन्युफैक्चरिंग: अमेरिका-चीन तनाव से टेक सप्लाई चेन का रुख भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर बढ़ सकता है.
निवेशकों के लिए सावधानी: भू-राजनीतिक रिस्क के चलते चीन में निवेश की अस्थिरता बनी रह सकती है, जिससे कमोडिटी और करेंसी मार्केट पर असर पड़ेगा.
चलते चलते आपको बता दें कि …हेज फंड मैनेजर कई तरह की एडवांस्ड इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी इस्तेमाल करते हैं-लॉन्ग पोज़िशन: किसी शेयर या एसेट को खरीदना, उम्मीद के साथ कि उसकी कीमत बढ़ेगी.
शॉर्ट पोज़िशन: किसी शेयर को उधार लेकर बेचना और बाद में कम दाम में खरीदकर लौटाना -ताकि गिरते बाजार में भी मुनाफा हो.डेरिवेटिव्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग: जोखिम से बचने (Hedging) या मुनाफा बढ़ाने के लिए.ग्लोबल मार्केट और मल्टी-एसेट इन्वेस्टमेंट: स्टॉक्स, बॉन्ड्स, करेंसी, कमोडिटीज, यहां तक कि रियल एस्टेट तक में निवेश.
निवेशकों को हेज फंड से कैसे फायदा होता है?
ऊंचे रिटर्न का मौका-हेज फंड पारंपरिक निवेश की तुलना में ज्यादा आक्रामक तरीके अपनाते हैं, जिससे ऊंचे रिटर्न मिलने की संभावना रहती है.
हर तरह के बाजार में मुनाफा
ये सिर्फ बाजार के बढ़ने पर ही नहीं, गिरने पर भी शॉर्ट सेलिंग से मुनाफा कमा सकते हैं.
डाइवर्सिफिकेशन
हेज फंड कई देशों, सेक्टर्स और एसेट क्लास में निवेश करके जोखिम को बांट देते हैं.
एक्सपर्ट मैनेजमेंट
निवेश का प्रबंधन ऐसे प्रोफेशनल्स करते हैं जिनके पास ग्लोबल मार्केट का गहरा अनुभव और रिसर्च क्षमता होती है.
4. लेकिन रिस्क भी है
हाई रिस्क – हाई रिटर्न: हेज फंड आक्रामक रणनीतियां अपनाते हैं, जिससे मुनाफा भी ज्यादा हो सकता है और नुकसान भी.कम पारदर्शिता: म्यूचुअल फंड के मुकाबले इनकी रिपोर्टिंग कम पब्लिक होती है.हाई फीस: आमतौर पर “2 and 20” मॉडल – 2% मैनेजमेंट फीस और 20% प्रॉफिट का हिस्सा.

Source: CNBC