‘भारत हमारा मित्र है, लेकिन व्यापार में उसने हमें कभी गंभीरता से नहीं लिया।’ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान उनके निर्णय के पीछे की भावना को साफ दर्शाता है। 30 जुलाई को ट्रंप ने घोषणा की कि 1 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा। ये टैरिफ भारत के रूस के साथ रक्षा और ऊर्जा संबंधों की वजह से अतिरिक्त दंड से तो बचा रहे हैं, लेकिन इसका असर भारतीय निर्यात पर पड़ना तय है।
ट्रंप ने ब्राजील और दक्षिण कोरिया के साथ भी टैरिफ गेम खेला, लेकिन भारत पर उनका फोकस कहीं ज्यादा तीखा रहा। यह स्पष्ट संकेत है कि आने वाले समय में भारत-अमेरिका व्यापार रिश्तों की दिशा और दशा फिर से लिखी जा सकती है।
किन क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा?
निर्यात पर चोट: भारत के लिए यह टैरिफ सबसे ज्यादा नुकसानदेह कपड़ा, ऑटो कलपुर्जे, चमड़ा, रत्न-आभूषण और कुछ खाद्य उत्पादों के लिए हो सकता है। इन क्षेत्रों से अमेरिका को बड़ा निर्यात होता है, और 25% का टैरिफ उन्हें सीधे प्रतियोगिता से बाहर कर सकता है।
जीडीपी को झटका: ICRA की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर के अनुसार, पहले से ही FY26 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.2% कर दिया गया था। अब, जब टैरिफ उम्मीद से ज्यादा है, तो यह गिरावट और गहराई तक जा सकती है। यानी वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी 6.2% से भी नीचे की दर से बढ़ेगी।
शेयर बाजार को क्या होगा?
निफ्टी में गिरावट के संकेत: घोषणा के बाद ही निफ्टी फ्यूचर्स में लगभग 200 अंकों की गिरावट देखी गई। निवेशकों में अनिश्चितता है और बाजार दो महीने से रेंजबाउंड ही चल रहा है। ट्रंप की यह घोषणा उस ठहरे पानी में उथल-पुथल ला सकती है।
छोटी अवधि में दबाव, लंबी अवधि में मौका: Choice Broking के रिसर्च प्रमुख उत्सव वर्मा के अनुसार, बाजार में तत्काल प्रतिक्रिया बहुत तीव्र नहीं होगी, लेकिन टेक्सटाइल, फार्मा और ऑटो सेक्टर में निवेशक दूरी बना सकते हैं।
बाजार की रणनीति क्या हो?
गिरावट में खरीदें की रणनीति: Anand Rathi Wealth के फरोज अजीज का मानना है कि भारतीय बाजार घरेलू निवेशकों से संचालित हो रहा है और FII का रोल फिलहाल सीमित है। ऐसे में, अगर थोड़ी गिरावट आती है तो यह लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए अवसर बन सकता है।
टैरिफ 25% से घटे तो राहत: Geojit Investments के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार कहते हैं कि अगर टैरिफ 20% या उससे नीचे आता है, तो इसका असर बाजार पर न्यूट्रल या पॉजिटिव हो सकता है। लेकिन 25% की दर लंबे समय तक बनी रही, तो नकारात्मक असर गंभीर हो सकता है।
क्या भारत और अमेरिका फिर से बैठेंगे बातचीत के लिए?
बातचीत की गुंजाइश जिंदा है। हालांकि ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि टैरिफ 1 अगस्त से प्रभावी होंगे, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि भारत के साथ बातचीत जारी रहेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह 25% की दर अंतिम नहीं है और इसे बातचीत से 15-20% तक लाया जा सकता है।
अभी डरने का नहीं, समझदारी दिखाने का समय
ट्रंप के इस फैसले ने भारत के सामने नई चुनौतियां जरूर खड़ी कर दी हैं, लेकिन यह अल्पकालिक अस्थिरता लंबी अवधि के निवेशकों के लिए सुनहरा मौका भी बन सकती है। जरूरत है धैर्य, समझदारी और रणनीतिक नजरिए की क्योंकि भारत की कहानी सिर्फ टैरिफ से नहीं रुकने वाली।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। इसमें व्यक्त किए गए विचार और सिफारिशें संबंधित विशेषज्ञों या ब्रोकिंग फर्म्स के निजी मत हैं, न कि लेखक या मिंट के। निवेश से जुड़े किसी भी निर्णय से पहले प्रमाणित वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना आवश्यक है, क्योंकि बाजार की स्थितियां तेजी से बदल सकती हैं और हर निवेशक की परिस्थिति भिन्न होती है।
Source: Mint