DGTR ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में सुझाव दिया कि पहले साल में 12%, दूसरे साल में 11.5% और तीसरे साल में 11% ड्यूटी लगाई जाए. इससे पहले अप्रैल में 200 दिनों के लिए 12% का अस्थायी ड्यूटी लगाई गई थी.
क्या है इंडस्ट्री की शिकायत
यह सिफारिश भारतीय स्टील एसोसिएशन की शिकायत के बाद आई, जिसमें आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया, जेएसडब्ल्यू स्टील, जिंदल स्टील एंड पावर और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया जैसे बड़े निर्माता शामिल हैं. एसोसिएशन का कहना था कि गैर-मिश्र धातु और मिश्र धातु फ्लैट स्टील के आयात में ग्रोथ से भारतीय निर्माताओं को गंभीर नुकसान हो रहा है और भविष्य में भी खतरा बना हुआ है.
DGTR ने कहा कि उसने भारतीय निर्माताओं को हो रहे नुकसान और आयात से उत्पन्न होने वाले खतरे को ध्यान में रखकर यह सिफारिश की है.
क्या है चिंता?
ट्रेड पॉलिसी थिंक टैंक GTRI ने इस कदम की आलोचना की है. GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि DGTR ने 250 से ज्यादा स्टेकहोल्डर्स, जैसे ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों, के विरोध को खारिज कर दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि यह ड्यूटी कच्चे माल की लागत बढ़ाएगा, निर्यात में कंपिटीशन को नुकसान पहुंचाएगा और ऑटो, इंजीनियरिंग और निर्माण जैसे उद्योगों पर दबाव डालेगा.
DGTR की जांच दिसंबर 2024 में शुरू हुई थी, जिसमें हॉट-रोल्ड, कोल्ड-रोल्ड, मेटालिक और रंग-लेपित स्टील शामिल थे. GTRI के अनुसार, 2024 में चीन से इन प्रोडक्ट्स का निर्यात 25% बढ़कर 11.07 करोड़ टन हो गया, जिनमें से ज्यादातर भारत की ओर भेजे गए. GTRI का कहना है कि आयात में यह ग्रोथ अचानक नहीं, बल्कि अनुमानित थी, और ड्यूटी से भारतीय उद्योगों को ज्यादा नुकसान हो सकता है.
Source: CNBC