कौन हैं राघवेंद्र श्रीनिवास भट
1981 में क्लर्क के रूप में शुरुआत की थी. बैंक में 38 साल तक सेवाएं दीं, 2019 तक चीफ जनरल मैनेजर (CGM) कैडर में COO पद पर कार्यरत रहे. उनका प्रोफेशनल एक्सपीरियंस बैंकिंग के हर क्षेत्र में रहा है. एचआर (HR), आईटी और डिजिटल बैंकिंग, ट्रेजरी और फॉरेक्स ऑपरेशन्स, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स और ग्रामीण बैंकिंग/कृषि क्षेत्र से भी जुड़ाव.
भट खुद एक किसान परिवार से आते हैं, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समझने का उन्हें व्यापक अनुभव है.
आरबीआई की अनुमति के बाद नियुक्ति-यह नियुक्ति भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से मंजूरी मिलने के बाद की गई है. राघवेंद्र भट अभी 2 जुलाई 2025 से बैंक में चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) के रूप में काम कर रहे थे.
बोर्ड को उम्मीद है कि राघवेंद्र भट का नेतृत्व बैंक को स्थायित्व देने के साथ-साथ रणनीतिक दिशा भी देगा. उनकी नियुक्ति को SEBI के सभी नियमों के अनुसार पारदर्शी ढंग से किया गया है, और वे किसी भी रेगुलेटरी पाबंदी के अधीन नहीं हैं.
कर्नाटका बैंक के लिए यह नियुक्ति एक इनहाउस प्रमोशन के ज़रिए अनुभव और स्थायित्व का संगम लेकर आई है. आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भट की अंतरिम लीडरशिप बैंक की ग्रोथ और ट्रांजिशन में सहायक सिद्ध होती है.किसी भी कंपनी या बैंक में MD और CEO के बदलने का असर कंपनी की दिशा, रणनीति, कर्मचारियों की सोच और शेयर बाजार में निवेशकों की धारणा पर सीधा पड़ता है। इसका असर पॉजिटिव या निगेटिव, दोनों हो सकता है – ये इस बात पर निर्भर करता है कि नया CEO कौन है, उसका ट्रैक रिकॉर्ड क्या रहा है, और किस माहौल में बदलाव हुआ है।
MD और CEO बदलने के असर: आसान भाषा में समझिए
कंपनी की रणनीति में बदलाव आ सकता है- नया CEO अक्सर नई सोच और नई रणनीति लेकर आता है. इससे कंपनी की विकास की दिशा बदल सकती है – जैसे डिजिटल फोकस, नई मार्केट में एंट्री, कॉस्ट कटिंग या रिस्ट्रक्चरिंग आदि
निवेशकों की उम्मीदें और बाजार की प्रतिक्रिया
अगर नया CEO अनुभवी और भरोसेमंद माना जाता है, तो निवेशक उसे पॉजिटिव सिग्नल मानते हैं.इससे शेयर की कीमत बढ़ भी सकती है.लेकिन अगर CEO की नियुक्ति पर सवाल उठे, या उसका ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा हो, तो शेयर में गिरावट भी आ सकती है.
अस्थिरता (Uncertainty) का असर
जब तक नया CEO खुद को साबित नहीं करता, तब तक शेयर में थोड़ी बहुत अस्थिरता बनी रह सकती है.खासकर अगर पिछला CEO अचानक हटा हो या विवाद के बीच गया हो.
कंपनी के कर्मचारियों और संस्कृति पर असर
लीडरशिप बदलने से कर्मचारियों की कार्यशैली, सोच और प्रदर्शन पर असर होता है.अच्छा लीडर टीम को मोटिवेट करता है, खराब लीडर से टैलेंट ड्रेन हो सकता है.
लंबे समय का असर – CEO की पॉलिसी पर निर्भर
CEO की रणनीति अगर सही साबित होती है, तो कंपनी लंबे समय में तेजी से ग्रो कर सकती है.इसका फायदा शेयरहोल्डर्स को भी मिलेगा.
कुल मिलाकर-
CEO बदलना एक टर्निंग पॉइंट होता है – अगर सही व्यक्ति को लाया गया है, तो यह कंपनी की किस्मत भी बदल सकता है। निवेशकों को नया CEO और उसकी योजना को करीब से समझना चाहिए, और उसी आधार पर निवेश का फैसला लेना चाहिए.
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Source: CNBC