SEBI Rules: मार्केट रेगुलेटर स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ( SEBI) ने IPO नियमों में बदलाव कर दिया है। इससे शेयर बाजार में लिस्ट होने की इच्छा रखने वाली स्टार्टअप कंपनियों के फाउंडर्स को बड़ी राहत मिलेगी। नए नियमों के तहत, अब IPO दस्तावेज दाखिल करने से कम से कम एक साल पहले दिए गए कर्मचारी शेयर विकल्प (ESOPs) को बनाए रखने की अनुमति दी गई है। शर्त यह है कि उन्होंने यह ESOP कम से कम एक साल पहले लिया हो।
बता दें कि पहले, अगर किसी स्टार्टअप फाउंडर को कंपनी का प्रमोटर माना जाता था और उसके पास ESOP थे, तो कंपनी के सार्वजनिक होने से पहले उसे उन ESOP को छोड़ना पड़ता था। अब ऐसा नहीं रहेगा। सेबी के इस फैसले से स्टार्ट-अप्स के लिए शेयर बाजार में उतरने का रास्ता थोड़ा आसान हो जाने की उम्मीद जताई जा रही है। सेबी ने इस बदलाव की जानकारी नोटिफिकेशन के जरिए दी है।
सेटलमेंट शेड्यूल में बदलाव
इसके साथ ही, SEBI ने इक्विटी और डेरिवेटिव्स सेगमेंट के सेटलमेंट शेड्यूल में भी बदलाव का ऐलान किया है। 5 और 8 सितंबर को गणेश चतुर्थी और ईद-ए-मिलाद की वजह से सेटलमेंट हॉलिडे घोषित किया गया था, इसलिए इन दिनों के ट्रेड्स का निपटान आगे खिसकाया गया है। इससे मार्केट की स्थिरता बनी रहेगी और निवेशकों को कोई बड़ी दिक्कत नहीं होगी।
सेबी ने क्या कहा?
सेबी ने अपने नोटिफिकेशन में साफ किया है कि कोई भी कर्मचारी या फाउंडर, जिसे ड्राफ्ट ऑफर डॉक्यूमेंट में प्रमोटर या प्रमोटर ग्रुप का हिस्सा बताया गया है, और जिसे ESOP, SAR यानी स्टॉक एप्रीसिएशन राइट्स (Stock Appreciation Rights) या किसी भी तरह का बेनिफिट IPO के पेपर्स दाखिल करने से कम से कम एक साल पहले मिला है, वह उसे आगे भी होल्ड कर सकता है।
इससे उन स्टार्ट-अप्स को बड़ा फायदा होगा जो भारत में लिस्टिंग की तैयारी कर रहे हैं। खासकर वे कंपनियां जो रिवर्स फ्लिपिंग कर रही हैं यानी विदेश में रजिस्टर्ड होने के बाद वापस भारत में अपना बेस शिफ्ट कर रही हैं। अब इन कंपनियों के फाउंडर्स को अपने ESOPs बेचने की मजबूरी नहीं रहेगी और वे लिस्टिंग के बाद भी इस लाभ को बनाए रख सकेंगे। यह बदलाव रिवर्स फ्लिपिंग को तेज करने वाला साबित हो सकता है।
Source: Mint