Sebi ने इनवेस्टर चार्टर में किया बदलाव, इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स, रिसर्च एनालिस्ट को उठाने होंगे ये जरूरी कदम

SEBI New Circular : मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने निवेशकों को ज्यादा जागरूक और सुरक्षित बनाने के लिए इनवेस्टर चार्टर में बदलाव किया है. इस बदलाव का मकसद है फाइनेंशियल इनक्लूज़न को बढ़ाना और निवेश से जुड़ी जानकारी को आसान और ट्रांसपेरेंट ढंग से मुहैया कराना. इस बदलाव के बाद अब इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स (IA) और रिसर्च एनालिस्ट (RA) को कुछ जरूरी कदम उठाने होंगे ताकि निवेशकों को उनके अधिकार और सुविधाओं की पूरी जानकारी समय पर और सही तरीके से मिल सके.

क्या है इनवेस्टर चार्टर में बदलाव की वजह?

सेबी ने हाल ही में बाजार में हुए कई तकनीकी और नीतिगत बदलावों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है. खासकर Online Dispute Resolution (ODR) प्लेटफॉर्म और SCORES 2.0 जैसी नई सुविधा को ध्यान में रखते हुए इनवेस्टर चार्टर को अपडेट किया गया है. इससे निवेशकों की शिकायतों का समाधान पहले से तेज और ज्यादा पारदर्शी तरीके से हो सकेगा.

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नए चार्टर में क्या शामिल किया गया है?

अब इनवेस्टर चार्टर में इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स और रिसर्च एनालिस्ट की सेवाएं, उनके विज़न-मिशन, और निवेशकों के साथ उनका व्यवहार कैसा होगा, यह विस्तार से बताया गया है. इसके अलावा, निवेशकों के अधिकार, उनकी जिम्मेदारियां और शिकायत निवारण के सभी माध्यमों की जानकारी भी चार्टर में दी गई है. साथ ही, हर महीने शिकायतों का डेटा वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर प्रकाशित करना जरूरी कर दिया गया है.

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क्लाइंट्स को जानकारी देने पर जोर

सेबी के नए सर्कुलर के मुताबिक अब सभी इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स और रिसर्च एनालिस्ट को यह चार्टर अपनी वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर प्रकाशित करना होगा. साथ ही अपने ऑफिस में प्रमुख जगहों पर इसे प्रदर्शित करना होगा. जब भी कोई नया क्लाइंट जुड़ता है, तब चार्टर की एक प्रति ईमेल या पत्र के माध्यम से उसे देना जरूरी होगा. इससे क्लाइंट को यह स्पष्ट रहेगा कि उन्हें किन सेवाओं की उम्मीद करनी चाहिए और शिकायत होने पर उन्हें क्या करना है.

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शिकायतें दूर करने में ट्रांसपेरेंसी

सेबी ने यह भी निर्देश दिया है कि हर इनवेस्टमेंट एडवाइजर और रिसर्च एनालिस्ट अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी अपडेट रखें कि उनके खिलाफ कितनी शिकायतें आईं, उनमें से कितनों का समाधान हुआ और कितनी लंबित हैं. यह डेटा हर महीने की 7 तारीख तक अपडेट करना अनिवार्य होगा.

सेबी का यह कदम निवेशकों के हित में एक अहम बदलाव है. इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि निवेशकों की सुरक्षा और भरोसा भी मजबूत होगा. जो लोग निवेश कर रहे हैं या करने की सोच रहे हैं, उनके लिए यह जानना जरूरी है कि उनका अधिकार क्या है और उन्हें किस तरह की सेवाएं मिलनी चाहिए.

 

Source: Financial Express