SEBI की सख्ती के संकेत- शेयर बाजार में इन नियमों को बदलने की तैयारी

SEBI के Whole-time Member अनंत नारायण ने 17 जुलाई को F&O मार्केट में छोटे समयावधि वाले ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स के अत्यधिक वॉल्यूम पर चिंता जताई. उन्होंने संकेत दिया कि इससे जुड़े नियम बदल सकते है. रेगुलेटर अब इन डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स की अवधि बढ़ाने (tenure & maturity extension) पर विचार कर रहा है, ताकि बाजार की क्वालिटी सुधारी जा सके.

F&O में शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग पर SEBI को चिंता-अनंत नारायण ने कहा कि expiry day पर इंडेक्स ऑप्शन में कैश मार्केट की तुलना में 350 गुना तक का वॉल्यूम हो जाता है, जो बाजार के लिए “unhealthy” है.
वोलैटिलिटी और शोर ट्रेडिंग का खतरा-SEBI की रिसर्च बताती है कि expiry वाले दिन ज़्यादा ऑप्शन ट्रेडिंग से बाजार में अस्थिरता बढ़ती है और यह price discovery को नुकसान पहुंचा सकती है.

लॉन्ग टर्म डेरिवेटिव्स को बढ़ावा मिलेगा-शॉर्ट टर्म ऑप्शंस की तुलना में लंबी अवधि के डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स कैपिटल फॉर्मेशन में मददगार होते हैं. SEBI इन्हीं को बढ़ावा देने पर विचार कर रहा है.

कैश मार्केट को गहराई देने की जरूरत-नारायण ने कहा कि सिर्फ डेरिवेटिव्स पर नहीं, बल्कि हमें कैश इक्विटी मार्केट को भी गहरा करने की जरूरत है ताकि असली निवेश को बल मिल सके.
FY25 में 91% रिटेल ट्रेडर्स को हुआ घाटा-SEBI की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, FY25 में 91% इंडिविजुअल ट्रेडर्स को F&O में घाटा हुआ और उनका कुल नुकसान ₹1 लाख करोड़ से ज्यादा रहा.
जवाबदेही के साथ निवेश की ज़रूरत-नारायण ने कहा कि इतना बड़ा पैसा अगर सही निवेश में लगता, तो यह देश की पूंजी व्यवस्था को मज़बूत करता. F&O में असंतुलित ट्रेडिंग चिंता का विषय है.
नियमों में बदलाव के संकेत-अब SEBI ऐसे उपायों पर काम करेगा जिनसे F&O प्रोडक्ट्स की मियाद बढ़े, जिससे ज्यादा स्थिर और जिम्मेदार ट्रेडिंग को बढ़ावा मिले.
SEBI ने साफ संकेत दिया है कि वो expiry day की ट्रेडिंग में बढ़ती असंतुलन और रिटेल नुकसान को गंभीरता से ले रहा है. जल्द ही डेरिवेटिव्स मार्केट के नियमों में संभावित बदलाव हो सकते हैं, जिससे ट्रेडर्स को लॉन्ग टर्म और स्थिर प्रोडक्ट्स की तरफ मोड़ा जाए. ये बदलाव बाजार की सेहत और निवेशकों की सुरक्षा — दोनों के लिए जरूरी हैं.

Source: CNBC