Sebi: आखिर जेन स्ट्रीट ने इंडियन स्टॉक मार्केट्स में ऐसा क्या किया जिससे मचा है बवाल?

सेबी ने जेन स्ट्रीट ग्रुप पर 3 जुलाई को प्रतिबंध लगा दिया है। इसका मतलब है कि इस अमेरिकी ट्रेडिंग ग्रुप की कंपनियां इंडियन स्टॉक मार्केट्स में किसी तरह की एक्टिविटी नहीं कर पाएंगी। ध्यान में रखने वाली बात है कि सेबी ने अभी जेन स्ट्रीट ग्रुप के खिलाफ अंतरिम आदेश दिया है। मार्केट रेगुलेटर जेन स्ट्रीट ग्रुप और इसकी कंपनियों की जांच कर रहा है। जांच के नतीजें आने के बाद सेबी इस मामले में फाइनल आदेश देगा। सेबी ने कहा है कि इंडियन स्टॉक मार्केट्स में मैनिपुलेशन से जेन स्ट्रीट ग्रुप की कंपनियों ने 4,843 करोड़ रुपये कमाए हैं। यह पैसा इस ग्रुप को वापस करना होगा। उसे यह पैसा एक एस्क्रो अकाउंट में डिपॉजिट करना होगा। सवाल है कि आखिर जेन स्ट्रीन ने इंडियन स्टॉक मार्केट्स में क्या गलत किया?

सेबी को मिली थीं कई शिकायतें

Jane Street की कंपनियों के खिलाफ SEBI को कई शिकायतें मिली थीं। इनमें कहा गया था कि जनवरी 2023 से मार्च 2025 के बीच जेन स्ट्रीट ग्रुप ने इंडियन स्टॉक मार्केट्स में हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल किया। इससे कंपनी ने 4,843 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया। सेबी का कहना है कि जेन स्ट्रीट ने इंडियन स्टॉक मार्केट्स में गैर-कानूनी और मैनुपेलिटव ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी अपनाई। सेबी को इस दौरान एक्सपायरी के दिन मार्केट में अप्रत्याशित उतारचढ़ाव की शिकायतें मिली थीं। जानकारों का कहना था कि इस तरह का उतारचढ़ाव को सामान्य नहीं माना जा सकता। सेबी के अपने सर्विलांस सिस्टम ने भी इसके संकेत दिए थे।

जेन स्ट्रीट दुनिया के 45 देशों में करती है ट्रेडिंग

जेन स्ट्रीट ग्रुप एक ग्लोबल प्रॉपरायटरी ट्रेडिंग फर्म है। यह अपनी सब्सिडियरी फर्मों के जरिए दुनिया के 45 से ज्यादा देशों में ट्रेडिंग करती है। अमेरिका, यूरोप और एशिया सहित पांच लोकेशंस पर इसके बड़े ऑफिसेज हैं। इस ग्रुप में 2,600 से ज्यादा लोग काम करते हैं। यह ग्रुप स्टॉक मार्केट से प्रॉफिट कमाने के लिए एल्गोरिद्म आधारित स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करता है। यह जानना जरूरी है कि जेन स्ट्रीट एक प्रॉपरायटरी ट्रेडिंग फर्म है। प्रॉपरायटरी फर्म का मतलब ऐसी फर्म से है, जो प्रॉफिट कमाने के मकसद खुद के लिए मार्केट में ट्रेड करती है।

तीन कंपनियों के जरिए करती थी ऑपरेट

जेन स्ट्रीट इंडिया में अपनी तीन सब्सिडियरीज कंपनियों के जरिए ऑपरेट करती थी। इनमें Jane Street Asia Trading Limited (JSATL), Jane Street India Trading Private Limited (JSITPL) और Jane Street Asia LLC (JSALLC) शामिल हैं। ये सभी कंपनियां इंडिया में फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) के रूप में रजिस्टर्ड हैं। सेबी की शुरुआती जांच से पता चला है कि ये कंपनियां इंडियन मार्केट में मिलकर ट्रेडिंग पोजीशंस लेती थीं। एल्गो आधारित स्ट्रेटेजी के जरिए ये तीनों मार्केट को मैनिपुलेट करती थीं।

प्रॉफिट के लिए खास स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल

बताया जाता है कि ये तीनों कंपनियां इंडेक्स डेरिवेटिव्स खासकर Nifty और Bank Nifty के फ्यूचर्स और ऑप्शंस में पोजीशंस लेती थीं। एक फर्म बाय (buy) पोजीशन लेती थी, जबकि दूसरी सेल (Sell) पोजीशन लेती थी। ये पोजीशन एक ही कॉन्ट्रैक्ट में, एक ही प्राइस पर और एक ही समय में लिए जाते थे। इसे हेजिंग स्ट्रेटेजी नहीं माना जा सकता। दरअसल ये पेअर्ड ट्रेड्स थे, जो कुछ ही सेकेंड्स में एग्जिक्यूट हो जाते थे। इसका मकसद सिर्फ कीमतों को अपनी जरूरत के हिसाब से गिराना या चढ़ाना होता था।

यह भी पढ़ें: Nifty-Bank Nifty से Jane Street ने दो साल में कमाए ₹36000 करोड़, SEBI ने किया खुलासा

अंतिम समय में प्लेस किए जाते थे बड़े आर्डर्स

यह ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी ज्यादातर मंथली और वीकली एक्सपायरी के दिन अपनाई जाती थी। सूचकांकों की क्लोजिंग प्राइस को बढ़ाने या घटाने के लिए ट्रेडिंग के अंतिम मिनट्स में जेन स्ट्रेट की कंपनियां बड़े ऑर्डर्स प्लेस करती थीं। चूंकि इंडेक्स डेरिवेटिव्स का सेटलमेंट इंडेक्स के क्लोजिंग लेवल से होता है, जिससे अंतिम मिनट्स में इंडेक्स में उतार-चढ़ाव से प्रॉफिट पर काफी ज्यादा असर पड़ता है। जेन स्ट्रीट की कंपनियों ने इस स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल कर सूचकांकों को मैनिपुलेट किया और काफी प्रॉफिट कमाया।

Source: MoneyControl