SBI Fundraising Plan: भारतीय स्टेट बैंक ने बुधवार को 25,000 करोड़ रुपये की QIP और 20,000 बॉन्ड इश्यू जारी करने का ऐलान किया है। यानी, कुल 45,000 करोड़ रुपये जुटाने की कवायद शुरू की गई है। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि जो बैंक सबसे कर्ज देता है, उसे पैसों की क्यों जरूरत पड़ रही है? आइए इस सवाल का जवाब आसान शब्दों में समझते हैं।
SBI को क्यों पड़ी फंड जुटाने की जरूरत?
दरअसल, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) जैसे बड़े बैंक को अपने बिजनेस को सही ढ़ंग से चलाने और रेगुलेटरी नियमों का पालन करने के लिए मजबूत कैपिटल बेस की जरूरत पड़ती है। बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और बेसल III जैसे इंटरनेशनल रूल्स के तहत एक निश्चित मात्रा में कैपिटल रखना पड़ता है। इसे कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो (CAR) या कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) रेशियो कहते हैं। यह कैपिटल बैंक की फाइनेंशियल हेल्थ का एक महत्वपूर्ण पैमाना है। अगर बैंक अधिक कर्ज बांटता है या उसका बिजनेस बढ़ता है, तो उसे इस कैपिटल को बढ़ाने की आवश्यकता होती है। ऐसा जोखिम को संभालने और ग्राहकों का विश्वास बनाए रखने के लिए किया जाता है।
बढ़ता जा रहा SBI का पोर्टफोलियो
भारतीय स्टेट बैंक ने हालिया सालों में अपने लोन पोर्टफोलियो में काफी बढ़ोतरी की है। भारतीय स्टेट बैंक का मार्च 2025 तक कुल लोन बुक 40 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। इतने बड़े स्तर पर कर्ज देने के लिए बैंक को और कैपिटल की जरूरत है, जिससे भविष्य में किसी आर्थिक संकट या डिफॉल्ट की स्थिति में अपने आप को मजबूत रख सके। इसके अलावा, बेसल III नियमों के तहत बैंकों को एडिशनल टियर 1 (AT1) और टियर 2 बॉन्ड्स के माध्यम से कैपिटल जुटाने की आवश्यकता होती है। इसी के तहत SBI 20,000 करोड़ रुपये की बॉन्ड जारी करेगा।
QIP और बॉन्ड से कैसे जुटाए जाएंगे पैसे?
क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) में बैंक नए शेयर जारी करेगा और इसे बड़े इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स खरीदेंगे। इसकी फ्लोर प्राइस 811.05 रुपये तय किया गया। यह फ्लोर प्राइस बुधवार को SBI के बंद भाव से 2.3% कम है। दूसरी तरफ, 20,000 करोड़ रुपये के बेसल III अनुरूप बॉन्ड्स डोमैस्टिक इन्वेस्टर्स के लिए इश्यू किए जाएंगे। ये बॉन्ड्स बैंक को लॉन्ग टर्म के लिए कैपिटल देंगे। भारतीय स्टेट बैंक ने साल 2017 के बाद पहली बार बड़ा कैपिटल जुटाने की कोशिश की है। इससे पता चलता है कि बैंक भविष्य की चुनौतियों के लिए पहले से अपनी कमर कस रहा है।
सरकार की हिस्सेदारी पर पड़ सकता है असर
गौरतलब है कि QIP के माध्यम से नए शेयर जारी होने से सरकार की हिस्सेदारी में भी कुछ गिरावट आ सकती है। इससे शेयरों की कीमत पर शॉर्ट टर्म के लिए कुछ असर पड़ सकता है। हालांकि, लॉन्ग टर्म पीरिएड में बैंक की फाइनेंशियल हेल्थ और मजबूत होगी। सरकारी बैंक ने इस प्रक्रिया को पूरी करने के लिए ICICI सिक्योरिटीज, कोटक इनवेस्टमेंट बैंकिंग, मॉर्गन स्टैनली, SBI कैपिटल मार्केट्स, सिटीग्रुप, और HSBC जैसे बड़े इन्वेस्टर्स बैंकों को नियुक्त किया है। मामूल हो कि मार्च 2025 तक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में सरकार की 57.49 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
Source: Mint