शेयर एक महीने में 4 फीसदी बढ़ा है. तीन महीने में शेयर 21 फीसदी बढ़ा है. एक साल में 20 फीसदी और तीन साल में शेयर 184 फीसदी बढ़ा है. एफआईआई ने भी भारी बिकवाली की है. एक्सचेंज के डेटा बताते हैं कि जून 2024 के मुकाबले जून 2025 में हिस्सेदारी 11.28 फीसदी से गिरकर 10.3 फीसदी पर आ गई है.
लेकिन डीआईआई यानी घरेलू विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से खरीदारी हुई है. एक्सचेंज के डेटा बताते हैं कि जून 2024 के मुकाबले जून 2025 में हिस्सेदारी 18.63 फीसदी से बढ़कर 19.21 फीसदी पर पहुंच गई है.
नतीजों पर एक नज़र | Q1FY25 | Q1FY26 | बदलाव |
कंसॉलिडेटेड मुनाफा | ₹65 करोड़ | ₹63 करोड़ | -3 फीसदी गिरा |
कंसॉलिडेटेड आय | ₹911 करोड़ | ₹1,007 करोड़ | 10.5 फीसदी बढ़ी |
EBITDA | ₹105 करोड़ | ₹83 करोड़ | -21 फीसदी गिरा |
EBITDA मार्जिन | 11.2% | 8.2% | 3 फीसदी की गिरावट |
निवेशकों के लिए क्या मतलब है
मुनाफा घटा लेकिन टॉपलाइन ग्रोथ अच्छी रही, यानी बिक्री तो बढ़ी, लेकिन लागत और मार्जिन पर दबाव रहा है.
EBITDA में 21% की गिरावट चिंता का कारण है, जिससे ऑपरेटिंग एफिशिएंसी पर असर पड़ा है.
मार्जिन में 300 बेसिस प्वाइंट की गिरावट दर्शाता है कि इनपुट लागत या अन्य खर्च बढ़े हैं.कंपनी ने भले ही ₹1,000 करोड़ का रेवेन्यू छू लिया हो, लेकिन प्रॉफिटबिलिटी घटने से शेयर पर दबाव रह सकता है.
निवेशकों को कंपनी की आने वाली तिमाहियों में मार्जिन रिकवरी और खर्च कंट्रोल की रणनीति पर नजर रखनी चाहिए.
डिस्क्लेमर: CNBC TV18 हिंदी/CNBC-आवाज़ पर दी गई सलाहें या विचार एक्सपर्ट, ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार हैं. वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके प्रति जिम्मेदार नहीं है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार या सर्टिफाइड एक्सपर्ट से राय जरूर लें.
Source: CNBC