PSU Bank के शेयर प्राइस निवेशकों को फिर लुभा रहे हैं, मिडकैप बैंकिंग स्टॉक भी इन्वेस्टर्स की पसंद बने

शेयर मार्केट में बैंकिंग स्टॉक में पीएसयू बैंक में रुचि लेने वाले निवेशकों के लिए यह माह अच्छा रहा. भारत के सबसे बड़े पीएसयू बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में पीएसयू बैंक ने अब अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया है. म्यूचुअल फंड से लेकर रिटेल इन्वेस्टर्स तक पीएसयू बैंक के स्टॉक में रूचि दिखा रहे हैं. पिछले कुछ माह में पीएसयू बैंक इंडेक्स में गिरावट रही थी, लेकिन अगस्त माह में इस इंडेक्स में तेज़ी देखी गई.

पीएसयू बैंक याने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जिन्हें पीएसबी भी कहा जाता है अपनी कमाए के आधार पर निवेशकों को आकर्षित करने में सफल रहे हैं.पीएसयू बैंक के कुछ मौकों पर प्रायवेट बैंक को भी पीछे छोड़ दिया.
12 सरकारी बैंकों को ट्रैक करने वाले निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स ने इस महीने अब तक 3.30% की बढ़त दर्ज की है, जो निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन है, जिसमें 0.40% की गिरावट आई. इस प्रदर्शन ने अगस्त में निफ्टी 50 के 1.27% की बढ़त को भी पीछे छोड़ दिया. इंडियन बैंक के शेयरों में 8% की बढ़ोतरी हुई, जबकि बैंक ऑफ इंडिया और एसबीआई दोनों के शेयरों में अगस्त में अब तक 4% की बढ़ोतरी हुई है.
जून तिमाही में पीएसयू बैंकों ने कमाई के बेहतर आंकड़े दर्ज किए गए. इन बैंकों ने खुदरा, कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों में अधिक उधारी देकर लोन ग्रोथ में बढ़ोतरी देखी,जिससे इनकी कमाई में इज़ाफा हुआ. इसके अलावा इनके एसेट क्लास में सुधार और राजकोषीय लाभ में वृद्धि से भी सरकारी बैंकों को नेट इन्टेरेस्ट मार्जिन में गिरावट वाली तिमाही में मजबूत प्रदर्शन करने में मदद मिली है.
जून तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने प्रमुख स्टैंडर्ड पर प्रायवेट बैंकों से बेहतर प्रदर्शन किया, जहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 11% की ऋण दर वृद्धि दर्ज की, जो निजी क्षेत्र के बैंकों की 8.1% की वृद्धि दर से कहीं अधिक है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में यह बदलाव वित्त वर्ष 2025 में शुरू हुआ, जब उन्होंने 14 वर्षों में पहली बार निजी बैंकों से बेहतर प्रदर्शन किया और सालाना आधार पर 13.1% की ऋण वृद्धि हासिल की, जो निजी क्षेत्र के बैंकों की 9% की वृद्धि दर से कहीं आगे थी.
निजी बैंकों का स्लिपेज वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 41% बढ़कर 36,000 करोड़ रुपए हो गया, जबकि सरकारी बैंकों के लिए यह 14.4% और 27,000 करोड़ रुपए था. केयरएज रेटिंग के आंकड़ों के अनुसार ऋण लागत के मामले में सरकारी बैंकों में सालाना आधार पर 4.8% की गिरावट आई और यह 0.16 लाख करोड़ रुपए रह गई, जबकि निजी बैंकों ने इसी अवधि में 172.1% की तीव्र वृद्धि दर्ज की.
पीएसयू बैंक में इंडियन ओवरसीज बैंक के शुद्ध लाभ में साल-दर-साल सबसे ज़्यादा वृद्धि दर्ज की गई, जो 75% बढ़कर 1,111 करोड़ रुपए हो गया. इसके बाद पंजाब एंड सिंध बैंक का स्थान है, जिसने 48% की वृद्धि दर्ज करते हुए 269 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया. बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक ने क्रमशः 2% और 22% का शुद्ध लाभ दर्ज किया.

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म बर्नस्टीन ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा कि यह वास्तविक जोखिम है कि पीवीबी को लंबे समय तक धीमी वृद्धि का सामना करना पड़ेगा, जबकि पीएसबी तेजी से विकास जारी रखेंगे, हालांकि संरचनात्मक रूप से मार्जिन कम होगा.

Source: Economic Times