Paytm में अब कोई विदेशी हिस्सेदारी नहीं, चीनी निवेश बाहर, बनी पूरी तरह स्वदेशी कंपनी

करीब 9 साल पहले Paytm के फाउंडर और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने कंपनी के ओनरशिप को लेकर बड़ी बात कही थी। उन्होंने कहा था, “हम मारुति जितने ही भारतीय हैं।” तब ये बात प्रतीकात्मक लगी थी, लेकिन आज यही लाइन सच साबित हो गई है। अब पेटीएम न सिर्फ भावना से, बल्कि शेयर होल्डिंग के हिसाब से भी पूरी तरह से एक भारतीय कंपनी बन चुकी है।

असल में, चीन के मशहूर कारोबारी जैक मा की कंपनी Ant Financial ने पेटीएम की पैरेंट कंपनी One97 Communications में अपनी पूरी 5.84% हिस्सेदारी करीब 3,980 करोड़ रुपये में बेच दी है।

पेटीएम अब टाटा की तरह ही भारतीय

डील से जुड़े एक जानकार ने कहा, “अब पेटीएम भी टाटा की तरह पूरी तरह से भारतीय कंपनी बन गई है।” Antfin (Netherlands) Holding BV ने हाल ही में पेटीएम में अपनी बाकी बची 5.84% हिस्सेदारी करीब 3,800 करोड़ रुपये में थोक सौदे के जरिए बेच दी। 

इस सौदे के बाद पेटीएम में अब कोई भी चीनी मालिकाना हक नहीं बचा है। यानी कंपनी अब पूरी तरह भारतीय निवेशकों के हाथ में है जो शेयरहोल्डिंग के मामले में एक बड़ा बदलाव है।

कब हुई थी Paytm की शुरुआत?

विजय शेखर शर्मा ने पेटीएम की शुरुआत 2010 में की थी। साल 2016 में जब डिजिटल इंडिया की हवा चल रही थी, तभी पेटीएम ने देश के विकास की रफ्तार में खुद को पूरी तरह से जोड़ा और अपनी सोच को भारतीय मूल्यों और नेशनल प्रायोरिटीज के साथ जोड़कर पेश किया।

उस वक्त जब स्टार्टअप्स में विदेशी निवेश और ग्लोबल इंटरेस्ट बढ़ रहा था, शर्मा ने पेटीएम को एक भारत-फर्स्ट कंपनी की तरह पेश किया। उन्होंने लोकल नियमों को फॉलो करते हुए इनोवेशन पर फोकस किया और भारतीय ग्राहकों और व्यापारियों को मजबूत करने की बात बार-बार कही।

उनका ये भरोसा कि भारत में ही एक वर्ल्ड-क्लास टेक्नोलॉजी कंपनी खड़ी की जा सकती है, दरअसल उनकी दूरदर्शी सोच को दिखाता है। और आज पेटीएम उस सोच का एक मजबूत उदाहरण बन चुका है।

Source: Mint