NSE IPO: मर्चेंट बैंकर बनने की मची होड़, एक्सचेंज संग रिलेशनशिप बनाने के​ लिए शुरू हुईं मीटिंग

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के IPO का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। केवल इनवेस्टर्स ही नहीं ​बल्कि मर्चेंट बैंकर भी इसकी बाट जोह रहे हैं। मनीकंट्रोल को सूत्रों से पता चला है कि मर्चेंट बैंकर्स, NSE IPO को लेकर संबंध बनाने की कोशिश में हैं और उन्होंने कंपनी के टॉप मैनेजमेंट के साथ मीटिंग्स शुरू कर दी हैं। लेकिन फॉर्मल प्रोसेस तभी शुरू होगी, जब एक्सचेंज को कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) मिल जाएगा।

एक बैंकिंग सूत्र ने मनीकंट्रोल को बताया है कि एक ‘ब्यूटी परेड’ के लिए आंतरिक तौर पर तैयारियां शुरू हो गई हैं। ‘ब्यूटी परेड’ उद्योग की भाषा है, जिसका मतलब है इस IPO के लिए मर्चेंट बैंक के तौर पर चुने जाने के लिए पिच करना। इस प्रक्रिया में मर्चेंट बैंकर संभावित वैल्यूएशन और, कंपनी और उसके पब्लिक इश्यू की खासियतों के बारे में कंपनी के सामने प्रेजेंटेशन देते हैं, जिन्हें निवेशकों के सामने लाने की जरूरत होती है।

रिलेशनशिप मीटिंग्स की होड़ हैरान करने वाली बात नहीं 

NSE का IPO काफी अहम है, ऐसे में मर्चेंट बैंकर्स के बीच NSE के साथ रिलेशनशिप मीटिंग्स की होड़ हैरान करने वाली बात नहीं है। एक अन्य सूत्र ने कहा, “बड़े मर्चेंट बैंकर, जो वैसे तो किसी बड़ी कंपनी के साथ मीटिंग के अलावा शायद ही कभी दूसरी मीटिंग्स के लिए बाहर निकलते हैं, आजकल एक एवरेज IPO की लिस्टिंग पर भी एक्सचेंज प्लाजा में देखे जाते हैं। यह NSE के शीर्ष लोगों के साथ मीटिंग करने का एक बहाना दे देता है।”

को-लोकेशन केस बन रहा है बड़ा रोड़ा

NSE ने को-लोकेशन केस के निपटारे के लिए 20 जून 2025 को सेबी के पास सेटलमेंट एप्लीकेशन डाली थी। यह अभी भी अंडर प्रोसेस है। सेबी की आंतरिक समिति आवेदन की जांच कर रही है और नतीजे पर पहुंचने के बाद इसे हाई पावर्ड एडवायजरी कमेटी के सामने रखा जाएगा। एडवाइजर इसके बाद अपना विचार रखेंगे और सेबी के होल टाइम मेंबर्स के एक पैनल को अपनी सिफारिशें सौपेंगे। एनएसई ने को-लोकेशन और डार्क फाइबर मामलों में लगभग 1,400 करोड़ रुपये के सेटलमेंट अमाउंट की पेशकश की है।

को-लोकेशन मामले में, यह आरोप लगाया गया था कि कुछ ब्रोकर्स ने डेटा की तेज एक्सेस के लिए अपने सर्वर को एक्सचेंज के पास रखकर NSE की सुविधा का गलत इस्तेमाल किया। इससे वह दूसरों से गलत तरीके से आगे रहे। सेबी का यह भी आरोप है कि NSE ने को-लोकेशन सुविधाओं तक तेज कनेक्टिविटी के लिए डार्क फाइबर के इस्तेमाल के जरिए कुछ ब्रोकर्स को वरीयता देते हुए उन्हें एक्सेस दी।

मामले का सेटलमेंट होने और SEBI से NOC मिलने के बाद NSE अपने IPO के लिए औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर सकता है। इसके बाद ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) तैयार होने में 4-5 महीने का वक्त लग सकता है। फिर सेबी की ओर से मर्चेंट बैंकरों से नियमित पूछताछ के लिए 2-3 महीने और लग सकते हैं। इस टाइमलाइन के हिसाब से अगर सब कुछ ठीक चला तो NSE आईपीओ अक्टूबर-दिसंबर 2025 में आ सकता है।

Disclaimer: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।

Source: MoneyControl