New Rules: शेयर बाजार में ट्रेंडिग करने वालों के लिए इस नियम में बड़ा बदलाव, यहां जानिए इसकी हर जरूरी बारीकी

मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग (Algo Trading) के लिए नया सिस्टम लागू किया है. अब कोई भी ऐप, API या सॉफ्टवेयर जो ऑटोमेटेड तरीके से ट्रेडिंग करता है, उसे NSE में रजिस्टर और मंजूरी लेना अनिवार्य होगा.एल्गो ट्रेडिंग क्या है? – एल्गो ट्रेडिंग में कंप्यूटर प्रोग्राम अपने आप ट्रेडिंग ऑर्डर देता है. इसके लिए इंसानी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होती है.

क्या है Algo Trading को लेकर नए नियम?

  • रजिस्ट्रेशन जरूरी: कोई भी कंपनी या फिनटेक जो API के जरिए ट्रेडिंग की सुविधा देती है, उसे NSE में रजिस्ट्रेशन (Empanelment) कराना होगा. बिना रजिस्ट्रेशन के एल्गो सिस्टम काम नहीं करेंगे.
  • रिटेल निवेशकों के लिए सुविधा: रिटेल निवेशक अब ब्रोकर के जरिए API से एल्गो ट्रेडिंग कर सकेंगे. हर एल्गो को 5 स्तरों (फ्रंटएंड, डेवलपर, यूजर, रणनीति प्रकार, रणनीति शैली) में वर्गीकृत किया जाएगा.
  • ब्लैक बॉक्स एल्गो: जो एल्गो अपने लॉजिक को छिपाते हैं (ब्लैक बॉक्स), उन्हें SEBI के तहत रिसर्च एनालिस्ट (RA) के रूप में रजिस्टर करना जरूरी है.
  • यूनिक Algo ID: प्रत्येक एल्गो को एक यूनिक ID दी जाएगी ताकि उसकी पहचान और ट्रैकिंग हो सके.
  • सुरक्षा और रिस्क मैनेजमेंट: ब्रोकर को हर ऑर्डर की सीमा, कीमत, मात्रा और मार्जिन की जांच करनी होगी. बिना सीमा के एल्गो काम नहीं करेंगे.

क्या होगा बाजार और निवेशकों पर असर?

  • रिटेल निवेशक: बिना रजिस्ट्रेशन के API-आधारित ट्रेडिंग ऐप या टूल का उपयोग नहीं हो सकेगा. तकनीकी रूप से सक्षम निवेशक भी सीमित नियमों के तहत एल्गो बना सकेंगे. मुफ्त या सस्ते अनियमित टूल्स पर प्रतिबंध लग सकता है.
  • एल्गो प्लेटफॉर्म: ज़ेरोधा स्ट्रैक, ट्रेडट्रॉन, एल्गोटेस्ट जैसे प्लेटफॉर्म को अपने हर एल्गो को NSE से मंजूरी लेनी होगी और जोखिम व ऑडिट दस्तावेज जमा करने होंगे.
  • ब्रोकर की जिम्मेदारी: ब्रोकर को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके क्लाइंट केवल NSE-अप्रूव्ड एल्गो का उपयोग करें. हर एल्गो का रिकॉर्ड, लॉग और ऑडिट ट्रेल रखना अनिवार्य होगा.

मंजूरी का समय
एल्गो जो केवल ऑर्डर पूरे करते है, उनकी मंजूरी 7 दिन में मिलेगी. अन्य सभी एल्गो के लिए 10 दिन में रजिस्ट्रेशन पूरा होगा. सभी एल्गो और API डेटा को एन्क्रिप्टेड तरीके से भेजना होगा. NSE ने कहा है कि क्लाइंट का डेटा ब्रोकर के सर्वर से बाहर नहीं जाना चाहिए.
रिटेल क्लाइंट्स के लिए जरूरी

  • रिटेल निवेशकों को ब्रोकर के माध्यम से एल्गो तक पहुंच मिलेगी.
  • बिना NSE मंजूरी के एल्गो का उपयोग करने पर ट्रेडिंग रोकी जा सकती है.

Source: CNBC