LIC की हिस्सेदारी वाला रेलवे पीएसयू स्टॉक मंडे को रहेगा निवेशकों के फोकस में, कंपनी को BEL से मिला ₹177 करोड़ का ऑर्डर

नई दिल्ली: रेलवे सेक्टर की सरकारी कंपनी Rites Ltd का स्टॉक मंडे को निवेशकों के फोकस में रहने वाला है. इसका कारण यह है कि कंपनी ने बताया है कि डिफेंस सेक्टर की सरकारी कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स से 177 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट हासिल हुआ है. हालांकि शुक्रवार को स्टॉक में गिरावट देखने को मिली थी और यह 3 प्रतिशत से ज़्यादा की गिरावट के साथ 264 रुपये के लेवल पर बंद हुआ था. लेकिन कल जब बाजार खुलेगा तो इसमें उछाल देखने को मिल सकता है.

कंपनी को मिला ऑर्डर

शुक्रवार, 25 जुलाई को, इंजीनियरिंग कंपनी राइट्स लिमिटेड ने बताया की कि उसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) से लेटर ऑफ इंटेंट मिला है. इसका मतलब है कि बीईएल, आंध्र प्रदेश के पलासमुद्रम स्थित अपनी ईएम बिजनेस यूनिट के लिए एक बड़े मन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी के डिज़ाइन, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और निर्माण के लिए राइट्स को नियुक्त करने की योजना बना रही है.
इस कॉन्ट्रैक्ट की पूरी कीमत 177.225 करोड़ रुपये की है, जिसे कंपनी को समझौते की तारीख से 24 महीनों की अवधि में पूरा करना है. यह भारत इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा दिया गया एक डॉमेस्टिक कॉन्ट्रैक्ट है और इसमें डिज़ाइन, पीएमसी सेवाएँ और सुविधा निर्माण सहित व्यापक ज़िम्मेदारियाँ शामिल हैं.

तिमाही के नतीजे

इस तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में 3.4% बढ़कर 141 करोड़ रुपये हो गया. हालाँकि, कंपनी का कुल रेवेन्यू 4.3% घटकर 615 करोड़ रुपये रह गया, जो पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 643 करोड़ रुपये था.
कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2025 के लिए प्रत्येक शेयर पर 2.65 रुपये का फाइनल डिविडेंड घोषित किया है. हालाँकि, उसने अभी तक इसके भुगतान के लिए रिकॉर्ड तिथि की घोषणा नहीं की है.
इस डिविडेंड का भुगतान तभी दिया जाएगा जब कंपनी के शेयरधारक आगामी 51वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) के दौरान इसे मंजूरी देंगे. अगर इसे मंजूरी मिल जाती है, तो कंपनी मंजूरी के 30 दिनों के भीतर लाभांश का भुगतान करेगी.

एलआईसी की हिस्सेदारी

कंपनी में देश के सबसे बड़े घरेलू निवेशक यानी एलआईसी की भी हिस्सेदारी है. ट्रेंडलाइन के मुताबिक, जून 2025 की तिमाही तक, कंपनी में एलआईसी के पास 26,534,547 शेयर यानी 5.52 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी.

Source: Economic Times