Jane Street के खिलाफ सेबी की जांच से ग्लोबल ट्रेडिंग फर्मों में हड़कंप

जेन स्ट्रीट के खिलाफ सेबी की जांच से इंडिया में ऑपरेट करने वाली ग्लोबल हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (एचएफटी) फर्मों में हड़कंप मच गया है। सेबी ने 3 जुलाई को अपने अंतरिम आदेश में जेन स्ट्रीट पर बैन लगा दिया। जेन स्ट्रीट ग्रुप की कंपनियां इंडियन स्टॉक मार्केट में किसी तरह की ट्रेडिंग नहीं कर सकेंगी। इंडिया में कई ग्लोबल एचएफटी फर्में ऑपरेट करती हैं। ये कंपनियां कैपिटल के ट्रांसफर के लिए कॉम्प्लेक्स स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करती हैं।

कई ग्लोबल कंपनियां इंडिया में ऑपरेट करती हैं

इंडिया में ऑपरेट करने वाली एचएफटी फर्मों में Citadel Securities, IMC Financial Markets and Jump Trading जैसी फर्में शामिल हैं। ये सभी एक जैसे डुअल-एंटिटी मॉडल का इस्तेमाल करती हैं। ये फर्में सिंगापुर और हांगकांग जैसे कम टैक्स वाले ज्यूरिडिक्शंस में रजिस्टर्ड एफपीआई स्ट्रक्चर के जरिए कैपिटल ट्रांसफर कराती हैं। यह पैसा इंडिया में रजिस्टर्ड फर्म के ट्रेडिंग डेस्क को ट्रांसफर किया जाता है।

जेन स्ट्रीट ने सब्सिडियरी फर्म का किया  इस्तेमाल

जेन स्ट्रीट के खिलाफ जो आरोप लगे हैं, उनमें जेन स्ट्रीट पर अपनी सब्सिडियरी कंपनियों का इस्तेमाल करने का आरोप शामिल है। इनमें JSI Investments शामिल है। इसका मकसद FPI पर लगे प्रतिबंधों से बचना था। खासकर इंट्राडे और डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में ऐसा किया गया। सेबी ने ट्रेडिंग में मैनिपुलेशन से हुई अवैध 4,843 करोड़ रुपये की कमाई जब्त करने का आदेश दिया है। सेबी का मानना है कि जेन स्ट्रीट ग्रुप ने इंडिया में मुनाफा कमाने के लिए जिस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल किया, वह मैनिपुलेशन के दायरे में आता है।

FPI के लिए पहले से ट्रेडिंग के नियम तय हैं

सेबी ने 3 जुलाई के अपने अंतरिम आदेश में कहा है, “ऐसा लगता है कि इंडिया में जेएसआई इनवेस्टमेंट्स के रजिस्ट्रेशन से जेन स्ट्रीट ग्रुप को एफपीआई के लिए तय नियमों से बचने का रास्ता मिल गया। एफपीआई के लिए इंडियन मार्केट में ऑपरेट करने के लिए नियम तय हैं। जेन स्ट्रीट ने एफपीआई के नियमों का उल्लंघन कर इंडिया में ट्रेडिंग के लिए मैनिपुलेटिव ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल किया।” सेबी ने जांच में यह पाया कि जेन स्ट्रीट की इंडिया और विदेश में रजिस्टर्ड सब्सिडियरीज एक जैसे नियमों के तहत ऑपरेट कर रही थीं। उन्होंने एक ही सिक्योरिटी में अपोजिट ट्रेडिंग पोजीशंस ली थीं।

यह भी पढ़ें: Jane Street पर बढ़ सकता है SEBI का शिकंजा, पोजीशन लिमिट नियमों के उल्लंघन की भी हो सकती है जांच

एल्गोरिद्म में बदलाव को मजबूर हो सकती हैं कंपनियां

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जेन स्ट्रीट मामले के बाद दूसरी ग्लोबल एचएफटी कंपनियों को अपने एल्गोरिद्म में बदलाव करने पड़ सकते हैं। जेन स्ट्रीट की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में ऑटोमेटेड ट्रेडिंग की मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ। ये कंपनियां एल्गोरिद्म का इस्तेमाल ट्रेडिंग में करती है। इससे उनकी ट्रेडिंग में किसी मानवीय हस्तक्षेप की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि, एल्गोरिद्म का इस्तेमाल नियमों के खिलाफ नहीं है। लेकिन, इसके इस्तेमाल से अगर ट्रेडिंग से जुड़े दूसरे नियमों का उल्लंघन होता है तो वह ठीक नहीं है।

Source: MoneyControl