ITR 2025: ‘ड्यू डेट’ और ‘लास्ट डेट’ में फर्क, जानें कब तक फाइल कर सकते हैं रिटर्न

ITR 2025: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की तारीखों को लेकर लोग अक्सर उलझन में रहते हैं. कई लोग सोचते हैं कि ‘ड्यू डेट’ यानी समयसीमा खत्म होने के बाद ITR नहीं भरा जा सकता, जबकि हकीकत कुछ और है.

कौन-सी तारीखें हैं अहम?
असेसमेंट ईयर 2025–26 (1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक का फाइनेंशियल ईयर) के लिए ITR भरने की शुरूआती ‘ड्यू डेट’ 31 जुलाई 2025 थी, जिसे बढ़ाकर अब 15 सितंबर 2025 कर दिया गया है. यह वह तारीख है जिसके बाद की गई ITR फाइलिंग ‘लेट फाइलिंग’ कैटेगरी में चले जाएगी.

अगर कोई व्यक्ति 15 सितंबर तक भी ITR फाइलिंग नहीं कर पाता, तो भी उसके पास 31 दिसंबर 2025 तक ‘बिलेटेड रिटर्न’ फाइल करने का मौका रहेगा. अगर कोई व्यक्ति कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण 31 दिसंबर 2025 तक भी फाइलिंग नहीं कर पाता, तो वह ‘अपडेटेड रिटर्न’ (विशेष शर्तों के अधीन) भी फाइल कर सकता है .
अगर ‘ड्यू डेट’ मिस हो जाए तो क्या होगा?
15 सितंबर 2025 तक ITR न भरने के ये नुकसान होंगे:

  • अगर आपको कोई ऐसा लॉस हुआ है जिसे आप कैरी फॉरवर्ड कर आगे अपनी इनकम से घटाना चाहते हैं, तो वह मौका हाथ से निकल जाएगा.
  • अगर 31 मार्च 2025 तक पूरा एडवांस टैक्स नहीं चुकाया है, तो बकाया टैक्स राशि पर ब्याज देना पड़ेगा, भले ही आप उसे बाद में ही क्यों न चुकाएं.
  • अगर आप वरिष्ठ नागरिक हैं (जिन्हें एडवांस टैक्स नहीं देना होता), तो भी 15 सितंबर 2025 से फाइलिंग डेट तक के लिए बकाया राशि पर ब्याज भरना होगा.
  • अगर रिफंड बनता है, तो देरी के कारण उस पर मिलने वाला ब्याज कम हो सकता है.

लेट फीस भी लगेगी:

  • अगर टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपए से ज्यादा है, तो लेट फीस 5,000 रुपए है.
  • 5 लाख रुपए या उससे कम इनकम पर 1,000 रुपए तक पेनल्टी है.

कुल मिलाकर, ‘ड्यू डेट’ का मतलब यह नहीं कि उसके बाद ITR नहीं भरा जा सकता, लेकिन तय समयसीमा के बाद भरने पर पेनल्टी लग सकती है और ब्याज से जुड़े नुकसान भी हो सकते हैं. बेहतर है कि ITR समय पर फाइल करें, ताकि कोई नुकसान न हो.

Source: CNBC