IT Stocks: आईटी कंपनियों के शेयरों का बुरा वक्त खत्म! एक्सपर्ट्स ने बताया आगे क्या होगा!

Edelweiss AMC के त्रिदीप भट्टाचार्य ने CNBC-TV18 पर बात करते हुए, ट्रिदीप ने शेयर बाजार की चाल को “ब्रेक लेने वाला” फेज बताया. उनके मुताबिक-Earnings का डाउनग्रेड का फेज पिछले साल से चल रहा है, जो अब दूसरी छमाही में थम सकता है. बड़े लेवल पर बाजार की वैल्यूएशन फेयर है — यानी महंगा भी नहीं, सस्ता भी नहीं है. आगे कहते हैं कि हॉस्पिटल्स, होटल्स, कैपिटल मार्केट और लक्ज़री कंजम्प्शन में दम दिख रहा है.लेकिन कंजम्प्शन अभी भी कमजोर है.

IT सेक्टर के सबसे खराब दिन शायद बीत चुके हैं — अब वो न्यूट्रल पोजिशन में हैं और हां, उन्होंने केमिकल्स सेक्टर में वेट बढ़ाया है, खासकर फ्लोरीनेशन वाले शेयर में रिकवरी की उम्मीद है.
Equirus Securities के रोहन मंडोरा ने सीएनबीसी टीवी18 को बताया कि PSU बैंक में 15–17% RoE बना रहेगा. RBL Bank और PSU बैंकों को लेकर रोहन मंडोरा का कहना है कि हाल की कैपिटल रेज़ बैंकों के NIM (Net Interest Margin) को सपोर्ट करेगी. रेट कट साइकिल में RBL को फायदा होगा क्योंकि इनके पास फिक्स्ड रेट लोन का ज्यादा हिस्सा है.

PSU बैंक अब भी बिना रेरेंटिंग के 15–17% RoE दे रहे हैं. यानी इनकी कमाई की क्षमता बनी हुई है.

बैंकिंग सेक्टर को अब पुरानी नज़रों से नहीं देख सकते.PSU बैंक अब सिर्फ सरकारी नाम नहीं, ठोस परफॉर्मर हैं.छोटे बैंकों का कंसॉलिडेशन ज़रूरी है ताकि वो बड़े झटकों को झेल सकें.और निवेश के मौके अब सलेक्टिव सेक्टर्स में हैं — IT, केमिकल्स, और कंजम्प्शन जैसे थीम्स में. अगर आप निवेशक हैं तो अब वक्त है “बैंकिंग सेक्टर” को नए नजरिए से देखने का
अब PSU बैंक सिर्फ सस्ता वैल्यू प्ले नहीं रहे, ये गर्व की बात बन चुके हैं!-SBI के पूर्व चेयरमैन दिनेश खारा ने ये बात कहकर सरकारी बैंकों की पुरानी छवि को जैसे एक झटका दे दिया है. उनका कहना है कि PSU बैंक अब अच्छे से कैपिटलाइज्ड हैं. लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और कई मामलों में प्राइवेट बैंकों से मजबूत बैलेंस शीट दिखा रहे हैं यानी वो सेगमेंट, जिसे एक वक्त पर कमजोर माना जाता था — अब भारत की बैंकिंग ताकत बन गया है.
क्या वाकई इतने बैंक की ज़रूरत है-
अबिज़र दिवानजी, जो NeoStrat Advisors LLP के फाउंडर हैं, कुछ और सोचते हैं. उनका कहना है कि “हमें इतना ज़्यादा PSU या प्राइवेट बैंक नहीं चाहिए — हमें चाहिए कुछ बड़े बैंक जो शॉक को झेल सकें. छोटे बैंक, चाहे PSU हों या प्राइवेट, ज़्यादा वल्नरेबल होते हैं. जैसे बैंक ऑफ महाराष्ट्र जैसे बैंकों को किसी बड़े बैंक में मर्ज करना, प्रदर्शन सुधार सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर हम विदेशी पूंजी से बैंकों को बड़ा बनाना चाहते हैं, तो उन्हें वोटिंग राइट्स देने होंगे.
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Source: CNBC