IREDA में रिटेल इन्वेस्टर्स की हिस्सेदारी बढ़ रही है, 4500 करोड़ रु के QIP के बाद शेयर प्राइस पर क्या असर पड़ सकता है

पीएसयू Indian Renewable Energy Dev Agency Ltd याने इरेडा में इसके आईपीओ के आने के समय से ही रिटेल इन्वेस्टर्स की बहुत दिलचस्पी रही है. साल 2023 में नवंबर माह के अंत में 32 रुपए के इश्यू प्राइस से शुरू होकर 50 रुपए के भाव पर लिस्ट होने वाले IREDA के शेयर में रिटेल इन्वेस्टर्स ने हर लेवल पर बाइंग की.

आम जनता की लगातार खरीदारी के कारण IREDA के शेयर 50 रुपए पर लिस्ट होकर लगातार बढ़े और 310 रुपए के ऊंचे भाव पर पहुंचे.फिलहाल स्टॉक का भाव नीचे आया है,लेकिन सरकार की 75% हिस्सेदारी वाले इस पीएसयू स्टॉक में रिटेल इन्वेस्टर्स की नज़रें बनी हुई हैं.
इरेडा के शेयर प्राइस गुरुवार को 1.40% की तेज़ी के साथ 176.50 रुपए के लेवल पर बंद हुए. कंपनी का मार्केट कैप 47.44 हज़ार करोड़ रुपए है. इसमें केंद्र सरकार की बड़ी हिस्सेदारी के बाद सबसे अधिक हिस्सेदारी आम जनता की है. इस स्टॉक में 22.70% पब्लिक होल्डिंग है.एफआईआई ने भी इस स्टॉक में 1.70% की हिस्सेदारी ली है.

खबरों में आया स्टॉक

सरकारी कंपनी भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) लिमिटेड के शेयरों पर शुक्रवार, 6 जून को सबकी नजर रहेगी, क्योंकि कंपनी ने गुरुवार रात को अपना बहुप्रतीक्षित क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) लांच कर दिया है.
इरेडा ने क्वालिफाइड इंस्टिट्यूश्न्स को शेयर बेचकर 4,500 करोड़ रुपये तक जुटाने की योजना बनाई है. क्यूआईपी का फ्लोर प्राइस 173.83 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है, जो गुरुवार को इरेडा के बंद भाव से सिर्फ 1.7% कम है.

चार्ट पर महत्वपूर्ण लेवल

IREDA के डेली चार्ट पर देखें तो इस स्टॉक ने मार्च 2025 में 140 रुपए के निचले स्तर से थोड़ा पिकअप किया है और हायर हाई, हायर लो पैटर्न बनाते हुए 180 रुपए के रजिस्टेंंस लेवल तक का सफर तय किया है. स्टॉक के लिए 175-185 स्ट्रांग रजिस्टेंस ज़ोन है, जहां से पहल भी स्टॉक में सेलऑफ आया था.
इरेडा के शेयर प्राइस तभी आगे जा सकते हैं, जबकि वे अच्छे वॉल्यूम के साथ 185 रुपए का लेवल पार करें.रजिस्टेंस ज़ोन के आगे इरेडा में मूवमेंट हो सकती है, जो उसे 225 रुपए के लेवल तक ला सकती है.

सपोर्ट लेवल में देखें तो 155-150 रुपए का लेवल इरेडा के लिए बाइंग ज़ोन की तरह काम कर सकता है. यह लास्ट स्विंग लो है.

Source: Economic Times