Smartworks Coworking IPO : कस्टमाइज्ड मैनेज्ड वर्कस्पेस सॉल्यूशंस प्रदान करने वाली कंपनी स्मार्टवर्क्स कोवर्किंग स्पेसेस लिमिटेड का आईपीओ आज 10 जुलाई को निवेश के लिए खुल गया है. इसमें 14 जुलाई तक सब्सक्राइब किया जा सकता है. आईपीओ के लिए कंपनी ने प्राइस बैंड 387 से 407 रुपये प्रति शेयर तय किया है. आईपीओ का साइज 582.56 करोड़ रुपये है. इसमें 445 करोड़ के फ्रेश इक्विटी शेयर जारी होंगे, वहीं 3,379,740 इक्विटी शेयरों का ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) है.
शेयरों का अलॉटमेंट 15 जुलाई को होगा. वहीं इसकी बीएसई और एनएसई पर लिस्टिंग 17 जुलाई को होगी. इस आईपीओ में रिटेल निवेश्कों के लिए 10% कोटा रिजर्व है. QIB के लिए इसमें 75% पोर्शन रिजर्व है. जबकि नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए 15% पोर्शन रिजर्व है. लॉट साइज 36 शेयरों का है और कम से कम 1 लॉट के लिए 14,652 रुपये की बोली लगानी होगी. अधिकतम 13 लॉट के लिए 1,90,476 रुपये निवेश कर सकते हैं.
ब्रोकरेज ने क्यों दी AVOID की सलाह
ब्रोकरेज हाउस एसबीआई सिक्योरिटीज का कहना है कि स्मार्टवर्क्स कोवर्किंग स्पेसेस एक जानी-मानी कंपनी है जो अपने ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार ऑफिस और वर्कस्पेस मुहैया कराती है. इसके पास कई अलग-अलग तरह के ग्राहक हैं. कंपनी की कमाई ठीक है क्योंकि इसके काम करने के आंकड़े अच्छे हैं. जैसे कि ग्राहक बनाए रखने की दर करीब 87% (वित्त वर्ष 2025) और ऑफिस की बुकिंग 89% (जून 2025 तक) है.
वित्त वर्ष 2023 से 2025 के बीच कंपनी का रेवेन्यू, EBITDA और एडजस्टेड EBITDA में 39%, 42.2% और 117.6% की तेज ग्रोथ रही. लेकिन फिर भी कंपनी को नेट स्तर पर घाटा हो रहा है क्योंकि डिप्रिसिएशन (पुरानी चीजों की घटती कीमत) बहुत ज्यादा है. 407 रुपये के अपर प्राइस बैंड पर कंपनी का वैल्युएशन FY25 EV/Adj. EBITDA के आधार पर 26.3 गुना है.
इस वजह से सलाह है कि निवेशकों को इस IPO में पैसा लगाने से बचना चाहिए. बेहतर होगा कि कंपनी के शेयर बाजार में लिस्ट होने के बाद उसका प्रदर्शन देखें, खासकर इसके खर्च और कमाई के तरीके पर ध्यान दें. फिर फैसला लें.
रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors)
ज्यादा कमाई कुछ ही शहरों से : भले ही कंपनी 15 शहरों में काम कर रही है, फिर भी इसकी कमाई का लगभग 76%-80% हिस्सा सिर्फ 4 बड़े शहरों से आता है. इससे अगर इन शहरों में कोई दिक्कत आती है, तो कंपनी पर असर पड़ सकता है.
कम बातचीत की ताकत : जब कंपनी बड़ी या मिड साइज कंपनियों के साथ डील करती है, तो उसकी बातचीत करने की ताकत कम होती है. उसे कई बार ऐसे समझौते करने पड़ते हैं जो उसके लिए नुकसानदेह हो सकते हैं.
लीज रिन्यू न होना : अगर मकान मालिक के साथ लीज का नया समझौता नहीं हो पाया, तो इससे कंपनी के कामकाज पर बुरा असर पड़ सकता है.
ग्राहक बनाए रखने का जोखिम : अभी कंपनी ग्राहकों को अच्छी तरह बनाए रख पा रही है, लेकिन अगर भविष्य में ग्राहक छोड़ने लगे तो कंपनी को नुकसान हो सकता है.
ग्रोथ की रणनीति (Growth Strategy)
कंपनी अपने अनुभव और मार्केट में लीडरशिप का फायदा उठाकर अपने मुख्य बिजनेस को और बड़ा करना चाहती है.
खर्च और कमाई को संतुलित करने के लिए किराये की दरों को लचीला रखने और मैनेज्ड कॉन्ट्रैक्ट्स को बढ़ाने की योजना है.
ऐसे नए रेवेन्यू सोर्स बढ़ाना जो मुनाफा ज्यादा दे सकें.
अपनी खुद की तकनीक को और मजबूत बनाकर काम को आसान और कम खर्चीला बनाना, जिससे भविष्य में उससे पैसे भी कमाए जा सकें.
पर्यावरण और सस्टेनेबिलिटी पर भी फोकस करना.
GMP : ग्रे मार्केट प्रीमियम
स्मार्टवर्क्स कोवर्किंग का अनलिस्टेड स्टॉक ग्रे मार्केट में 31 रुपये के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है. यही ट्रेंड रहा तो कंपनी का स्टॉक अपर प्राइस बैंड 407 रुपये की तुलना में 438 रुपये पर लिस्ट हो सकता है. यह प्रीमियम 8 फीसदी के करीब है.
(Disclaimer: आईपीओ में निवेश करने या बचने की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दिए गए हैं. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)
Source: Financial Express