आप फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) ट्रेडिंग करते हैं तो इसके टैक्स के नियमों को जान लेना जरूरी है। एफएंडओ में टर्नओवर का कैलकुलेशन हर ट्रेड से होने वाले प्रॉफिट या लॉस के आधार पर होता है। लॉस की स्थिति में टर्नओवर का कैलकुलेशन और मुश्किल हो जाता है। स्पेकुलेटिव लॉस को सिर्फ स्पेकुलेटिव गेंस से ऑफसेट किया जा सकता है। ये दोनों एक ही फाइनेंशियल ईयर के होने चाहिए। इसे सिर्फ चार साल तक कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है।
लॉसेज को सेट-ऑफ किया जा सकता है
F&O ट्रेडिंग से नॉन-स्पेकुलेटिव लॉसेज के नियम ज्यादा मुश्किल नहीं हैं। इन्हें सेम ईयर में किसी भी तरह की इनकम (सैलरी छोड़कर) सेट-ऑफ किया जा सकता है। इसे 8 साल तक कैरी-फॉरवर्ड किया जा सकता है। इससे ट्रेडर्स को टैक्स-प्लानिंग में मदद मिलती है। इसलिए F&O से होने वाली इनकम से उन ट्रेडर्स को काफी मदद मिल जाती है जो अपनी टैक्स लायबिलिटी को अच्छी तरह से मैनेज करना चाहते हैं।
एफएंडओ ट्रेडिंग स्पेकुलेटिव ट्रांजेक्शन नहीं है
इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक, अगर F&O ट्रेडिंग किसी मान्यताप्राप्ट स्टॉक एक्सचेंज के जरिए की जाती है तो उसे स्पेकुलेटिव ट्रांजेक्शन नहीं माना जाता है। इस बारे में सेक्शन 43(5) में बताया गया है। इसलिए F&O ट्रांजेक्शन को नॉन-स्पेकुलेटिव बिजनेस इनकम माना जाता है और इस पर ‘बिजनेस या प्रोफेशन से प्रॉफिट्स और गेंस’ हेड के तहत टैक्स लगता है। F&O ट्रेडिंग से होने वाली इनकम (चाहे लॉस या प्रॉफिट) को इनकम टैक्स रिटर्न में बतौर बिजनेस इनकम दिखाना जरूरी है। ट्रेडर को इसमें से ट्रेडिंग से जुड़े एक्सपेंसेज घटाने की इजाजत है।
बिजनेस एक्सपेंसेज को इनकम से घटाने की इजाजत
ट्रेडिंग से जुड़े एक्सपेंसेज में ब्रोकरेज चार्जेज, ट्रांजेक्सन कॉस्ट, इंटरनेट एवं टेलीफोन बिल्स, लॉपटॉप और दूसरे एसेट्स पर डिप्रेशिएशन, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की सब्सक्रिप्शन फीस, एडवायजरी फीस आदि शामिल हैं। इसके अलावा अगर ट्रेडर ने ट्रेडिंग के लिए कोई स्टाफ रखा है तो उसकी सैलरी भी ट्रेडिंग से जुड़े बिजनेस एक्सपेंसेज में शामिल होगी। इसका मतलब है कि ट्रेडर को ट्रेडिंग से जुड़े हर छोटे-बड़े खर्चों का हिसाब रखना जरूरी है।
एफएंडओ ट्रेडिंग में टर्नओवर कैलकुलेशन के अलग नियम
F&O ट्रेडिंग में टर्नओवर का मतलब ट्रेडेड कॉन्ट्रैक्ट्स की टोटल वैल्यू नहीं होती है बल्कि हर ट्रेड से हुए कुल प्रॉफिट और लॉस की वैल्यू होती है। इसे एक उदाहरण की मदद से आसानी से समझा जा सकता है। मान लीजिए आप किसी एक ट्रेड से 20,000 रुपये का प्रॉफिट कमाते हैं और दूसरे ट्रेड पर आपको 15,000 रुपये लॉस होता है तो आपका टर्नओवर 35,000 रुपये (20,000 + 15,000) होगा।
फ्यूचर्स में टर्नओवर का मतलब
फ्यूचर्स में टर्नओवर का मतलब हर स्कावयर्ड-ऑफ पोजीशन में हुए कुल लॉस या प्रॉफिट से है। ऑप्शंस में टर्नओवर का मतलसब ऑप्शंस को बेचने और खरीदने से हुआ कुल प्रॉफिट या लॉस से है। साथ इसमें वह प्रीमियम भी शामिल होता है जो ऑप्शंस बेचने पर मिलता है। टर्नओवर के कैलकुलेशन का यह तरीका काफी अहम है, क्योंकि इसी के आधार पर सेक्शन 44एबी के तहत टैक्स ऑडिट होता है और सेक्शन 44एडी के तहत प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन की एलिजिबिलिटी तय होती है।
प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन का विकल्प
अगर एफएंडओ ट्रेडिंग से टर्नओवर 3 करोड़ रुपये तक है तो ट्रेडर प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन के विकल्प को सेलेक्ट कर सकता है। इस स्कीम में अगर ट्रेडर अपना प्रॉफिट अपने टर्नओवर का 6 फीसदी या इससे ज्यादा डेक्लेयर करता है तो उसे बुक्स मेंटेन नहीं करना पड़ता है। इसका मतलब है कि उसे अपने अकाउंट्स का ऑडिट कराने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि, अगर डेक्लेयर्ड प्रॉफिट 6 फीसदी से कम है और कुल इनकम बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट को पार कर जाती है तो टैक्स ऑडिट जरूरी हो जाता है।
डेडलाइन के बाद रिटर्न फाइल करने पर लॉस कैरी-फॉरवर्ड नहीं
एफएंडओ ट्रेडिंग से लॉस के मामले में अगर बिजनेस नॉन-स्पेकुलेटिव बिजनेस इनकम के तहत आता है तो कुछ खास बेनेफिट्स मिलते हैं। लॉस को किसी दूसरी इनकम (सैलरी इनकम छोड़कर) के साथ सेट-ऑफ किया जा सकता है। लेकिन, दोनों एक ही फाइनेंशियल ईयर के होने चाहिए। अगर लॉसेज को सेम ईयर में एडजस्ट नहीं किया जा सकता है तो उसे 8 साल तक कैरी-फॉवर्ड किया जा सकता है। लेकिन, इस लॉस को कैरी फॉरवर्ड करने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न डेडलाइन के अंदर फाइल करना जरूरी है। अगर इनकम टैक्स रिटर्न डेडलाइन के बाद फाइल किया जाता है तो ट्रेडर को लॉस चार साल तक कैरी फॉरवर्ड करने की इजाजत नहीं है।
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रिटर्न फाइल करने के लिए ITR-3 सही फॉर्म
एफएंडओ ट्रेडर्स के इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए ITR फॉर्म-3 सही फॉर्म है। दरअसल, यह फॉर्म ऐसे इंडिविजु्अल्स और HUF के लिए है, जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से इनकम होती है। इस फॉर्म में बिजनेस इनकम डेक्लेयर करने, एक्सपेंसेज को घटाने, डिप्रशिएशन, ऑडिट डिटेल्स और बैलेंसशीट की जानकारी शामिल होती है।
अविनाश पोलपल्ली
(पोलपल्ली क्लियरटैक्स के बिजनेस हेड हैं)
Source: MoneyControl