SEBI के निर्देशों के अनुसार, LIC के IDBI बैंक में वोटिंग अधिकार कुल प्रभावी वोटिंग अधिकारों के 10% तक सीमित होंगे. LIC बैंक के मामलों पर कोई नियंत्रण नहीं रखेगी और न ही उसे कोई विशेष अधिकार मिलेगा. इसके अलावा, LIC का बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा.
बैंक के प्राइवेटाइजेशन की दिशा में अहम कदम
LIC अपनी बाकी हिस्सेदारी को नए खरीदार के ओपन ऑफर के बारे में शेयरहोल्डर्स को दिए जाने वाले ऑफर लेटर में साफ करेगी. LIC को रणनीतिक विनिवेश की आखिरी तारीख से दो साल के भीतर अपनी हिस्सेदारी 15% तक कम करनी होगी. SEBI की मंजूरी के बाद, IDBI Bank अब स्टॉक एक्सचेंज से औपचारिक क्लासिफेकशन के लिए संपर्क करेगा. इसे बैंक के प्राइवेटाइजेशन की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.
विनिवेश की दिशा में अब तक क्या हुआ?
21 अगस्त को, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव अरुणिश चावला के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि IDBI Bank की हिस्सेदारी बिक्री के लिए रुचि पत्र (EOI) प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और वर्तमान में ड्यू डिलिजेंस चल रही है. सरकार को उम्मीद है कि इस कारोबारी साल की तीसरी तिमाही तक हिस्सेदारी बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित की जाएंगी.
Source: CNBC