IDBI Bank: अक्टूबर तक बिक सकता है यह PSU बैंक, सरकार और LIC बेचेंगी 60% से ज्यादा हिस्सेदारी

IDBI Bank Shares: सरकार ने आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया को अक्टूबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस मामले से वाकिफ दो सीनियर सरकारी सूत्रों ने मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी। IDBI बैंक में रणनीतिक विनिवेश की प्रकिया लंबे से समय से अटकी हुई है। सूत्रों ने बताया कि बिक्री प्रक्रिया के अंतिम चरण के रूप में वित्तीय बोलियों को जल्द ही मंगाया जाएगा। एक सीनियर अधिकारी ने बताया, “IDBI बैंक में हिस्सेदारी बिक्री अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी और इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।” इससे पहले 9 जुलाई को डिसइनवेस्टमेंट से जुड़े एक इंटर-मिनिस्टीरियल ग्रुप की एक बैठक हुई थी, जिसमें शेयर परचेज एग्रीमेंट के मसौदे पर चर्चा की गई।

शेयर परचेज एग्रीमेंट (SPA) एक कानूनी दस्तावेज होता है जो किसी सौदे में शेयरों की बिक्री की शर्तों और नियमों को स्पष्ट करता है। इसमें नियामकीय मंजूरी, मैनेजमेंट में बदलाव, देनदारियों की जिम्मेदारी और अधिग्रहण के बाद बिडर्स के दायित्व जैसे महत्वपूर्ण बिंदु शामिल होते हैं। इस बैठक के बाद अब इस मसौदे को डिसइनवेस्टमेंट से जुड़े सचिवों की कोर ग्रुप (CGD) और केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

एक दूसरे सीनियर अधिकारी ने कहा, “शेयर परचेज एग्रीमेंट सबसे अहम चरण है। इसके अंतिम रूप में आने और मंजूरी मिलते ही सरकार वित्तीय बोलियों को आमंत्रित कर सकेगी और सौदे को पूरा कर सकेगी।”

उन्होंने आगे बताया, “अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो IDBI की बिक्री तय है। फाइनेंशियल बिडर्स के चयन के बाद उसी दिन शेयर परचेज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर होंगे। शेयर सरकार से बोलीदाता को ट्रांसफर होंगे और उसी दिन सरकार को भुगतान भी मिल जाएगा। यह सब कुछ उसी दिन होगा।”

सौदे का स्ट्रक्चर

इस रणनीतिक बिक्री में भारत सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) मिलकर IDBI बैंक में 60.72% हिस्सेदारी बेच रहे हैं। LIC ने जनवरी 2019 में IDBI बैंक में हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने IDBI बैंक को प्राइवेट बैंकों की कैटेगरी में डाल दिया था, हालांकि इसकी बहुमत हिस्सेदारी अभी भी सरकार के पास है। IDBI बैंक में सरकार की जहां 30.48% हिस्सेदारी है, वहीं LIC के पास इसकी 49.24% हिस्सेदारी है।

देरी के कारण और आगे का रास्ता

IDBI बैंक की बिक्री केंद्र सरकार की प्राइवेटाइजेशन पॉलिसी का प्रमुख हिस्सा रही है। हालांकि यह प्रक्रिया कई बार नियामकीय मंजूरियों और बाजार की स्थितियों के कारण अटकी रही, लेकिन अब यह सौदा अपने अंतिम चरण में है। अगर यह अक्टूबर तक संपन्न हो जाता है, तो यह बैकिंग सेक्टर में भारत की पहली बड़ी स्ट्रैटजिक सेल होगी और यह भविष्य में दूसरी सरकारी बैंकों के निजीकरण की दिशा में एक उदाहरण के तौर पर काम आएगी।

इस साल 32% बढ़ा शेयर

इस बीच IDBI बैंक के शेयर, गुरुवार 10 जुलाई को बीएसई पर 2 फीसदी की तेजी के साथ खुले और इसका भाव 102.08 रुपये के स्तर तक पहुंच गया। इस साल अब तक बैंक के शेयरों में करीब 32 फीसदी की तेजी आ चुकी है।

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Source: MoneyControl