क्या है मामला-
भारतीय वायुसेना को 42.5 स्क्वाड्रन की जरूरत है, लेकिन अभी केवल 30 स्क्वाड्रन ही ऑपरेशनल हैं.IAF चीफ ए.पी. सिंह का कहना है कि हर साल कम से कम 40 नए फाइटर जेट्स शामिल किए जाने चाहिएं, ताकि युद्धक क्षमता बनी रहे.
ऐसे में HAL से 97 LCA Mk-1A की डील से “Make in India” को बढ़ावा मिलेगा और स्क्वाड्रन की कमी भी दूर होगी.
HAL के साथ ₹67,000 करोड़ की डील-97 LCA Mk-1A फाइटर जेट्स की खरीद को लेकर अंतिम मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है.ये विमान स्वदेशी हैं और HAL द्वारा बनाए गए हैं.
Mid-air Refuellers की खरीद भी होगी तेज-अभी IAF के पास सिर्फ 6 पुराने रूसी IL-78 टैंकर हैं.अब 6 नए रीफ्यूलर खरीदने की प्रक्रिया में तेजी लाई गई है – यूरोप, रूस और इज़राइल के वेंडर रेस में हैं.
AEW&C सिस्टम भी होंगे शामिल-सरकार जल्द ही 6 AEW&C सिस्टम को मंजूरी दे सकती है जो Airbus A321 प्लेटफॉर्म पर आधारित होंगे.इससे भारत की हवाई निगरानी और चेतावनी क्षमता में जबरदस्त इजाफा होगा.
रक्षा मंत्रालय अब खरीद प्रक्रिया की टाइमलाइन 7-8 साल से घटाकर 2 साल तक लाने की योजना बना रहा है.इसके लिए RFP, फील्ड ट्रायल और कॉन्ट्रैक्ट की प्रक्रिया में बदलाव किए जाएंगे.
AMCA और MRFA जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स पर काम-भारत के फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट AMCA पर भी ब्लूप्रिंट जारी हुआ है.इसके अलावा ₹1.5 लाख करोड़ की MRFA डील (114 फाइटर जेट्स) भी अब गति पकड़ रही है.
Source: CNBC