गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ की वैल्यूएशन का तरीका बदलने जा रहा है। सेबी ने इस बारे में 16 जुलाई को एक कंसल्टेशन पेपर पेश किया है। इसमें एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) के पास रखे गोल्ड और सिल्वर की वैल्यूएशन के तरीके में बड़े बदलाव का प्रस्ताव शामिल है। इस प्रस्ताव पर 6 अगस्त तक राय दी जा सकती है। दरअसल, सेबी ईटीएफ के गोल्ड और सिल्वर की वैल्यूएशन के तरीके को पारदर्शी बनाना चाहता है। रेगुलेटर का मानना है कि अभी वैल्यूएशन के जिस तरीके का इस्तेमाल हो रहा है, उसमें बदलाव करने की जरूरत है।
अभी इस तरीके का इस्तेमाल होता है
अभी ईटीएफ के गोल्ड और सिल्वर की वैल्यूएशन के लिए एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMC) लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) के प्राइस का इस्तेमाल करती हैं। यह प्राइस अमेरिकी डॉलर में होता है। फंड मैनेजर्स इस प्राइस को पहले रुपये में कनवर्ट करते हैं। उसके बाद इसमें कस्टम ड्यूटी, लोकल टैक्स और इंडियन मार्केट्स की स्थितियों के अनुसार प्रीमियम जोड़ा या घटाया जाता है। यह प्रोसेस काफी लंबा है। इससे एएमसी के पास प्राइस एडजस्टमेंट के लिए अलग-अलग सोर्सेज का इस्तेमाल करने की गुंजाइश होती है। वे अपने हिसाब से कम या ज्यादा बार इस प्रोसेस का इस्तेमाल करती हैं। इससे वैल्यूएशन के तरीके में समानता नहीं रह जाती है।
सेबी इस तरीके का इस्तेमाल चाहता है
सेबी का मानना है कि एएमसी को गोल्ड या सिल्वर की वैल्यूएशन के लिए LBMA प्राइस की जगह MCX जैसे इंडियन कमोडिटी एक्सचेंजों के प्राइस का इस्तेमाल करना चाहिए। यह प्राइस कई मार्केट पार्टिसिपेंट्स के पैनल की सिफारिशों के आधार पर तय होता है। इस पैनल में इंपोर्टर्स, ट्रेडर्स और ज्वैलर्स आदि शामिल होते हैं। इसमें इंडिया में रियल टाइम सप्लाई और डिमांड की स्थिति को भी ध्यान में रखा जाता है। एमसीएक्स इंडिया का सबसे बड़ा कमोडिटी एक्सचेंज है। इसमें गोल्ड और सिल्वर फ्यूचर्स में ट्रेडिंग होती है।
गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ का मतलब
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स को ETF कहा जाता है। ये एक तरह के म्यूचुअल फंड्स हैं, जनकी ट्रेडिंग स्टॉक्स की तरह स्टॉक एक्सचेंजों में होती है। म्यूचुअल फंड की तरह ये भी इंडेक्स, सेक्टर, कमोडिटी या एसेट को ट्रैक करते हैं। हालांकि, सेबी के इस प्रस्ताव पर अभी एक जैसी प्रतिक्रिया नहीं आई है। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता ने कहा कि इस पर सवाल उठाया है।
सेबी के प्रस्ताव पर सवाल
उनका मानना है कि कमोडिटी एक्सचेंज में गोल्ड और सिल्वर के स्पॉट पूलिंग प्राइस रोजाना एक बार सुबह में 4:30 बजे घोषित होते हैं। सोना और चांदी ऐसे कमोडिटीज हैं, जिनकी ट्रेडिंग इंटरनेशनल एक्सचेंजों में होती है, जो 24 घंटे ओपन रहते हैं। ऐसे में अगर इंडिया में किसी खास टाइम पर बुलियन की कीमत का कैलकुलेशन होता हो तो इससे इंटरनेशनल प्राइस और इंडियन प्राइस में बड़ा फर्क हो सकता है। इसलिए ETF की वैल्यूएशन के लिए सिर्फ LBMA प्राइस का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
Source: MoneyControl