FPI Equity Selloff in August 2025: भारतीय पूंजी बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की गतिविधियां अगस्त महीने में खासा चर्चा का विषय बनी हुई हैं। जहां एक ओर एफपीआई ने इक्विटी से भारी मात्रा में पैसा निकाला है, वहीं दूसरी ओर उन्होंने डेट और म्यूचुअल फंड सेगमेंट में निवेश बढ़ाया है। ये रुझान भारतीय बाजार की मौजूदा स्थिति और वैश्विक आर्थिक संकेतकों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश को दर्शाता है।
अगस्त में भी बिकवाली जारी
सीडीएसएल के ताजा आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने 22 अगस्त तक भारतीय इक्विटी बाजार से 22,040 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की है। इस बिकवाली के चलते अगस्त में अब तक कुल 6,455 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी दर्ज की गई है। हालांकि, यह तस्वीर पूरी तरह नकारात्मक नहीं है। एफपीआई ने डेट सेगमेंट में 14,073 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो यह दर्शाता है कि वे भारत के दीर्घकालिक ऋण बाजार में भरोसा बनाए हुए हैं।
इसके अलावा, एफपीआई ने हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट्स में 63 करोड़ रुपये और म्यूचुअल फंड्स में 1,449 करोड़ रुपये की शुद्ध लिवाली की है। यह निवेश संकेत देता है कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पूरी तरह से पीछे नहीं हटे हैं, बल्कि वे अपने पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित कर रहे हैं।
भारतीय बाजार से निकाल रहे पैसा
ये लगातार तीसरा महीना है जब एफपीआई ने भारतीय बाजार से पैसा निकाला है। जुलाई में उन्होंने 5,261 करोड़ रुपये, और जून में 7,769 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी। इस साल केवल मार्च और मई को छोड़कर बाकी सभी महीनों में एफपीआई ने बाजार से निकासी की है। इससे यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक अनिश्चितताओं, अमेरिकी ब्याज दरों में बदलाव और घरेलू बाजार की अस्थिरता ने विदेशी निवेशकों को सतर्क बना दिया है।
पूरे कैलेंडर वर्ष 2025 की बात करें तो एफपीआई ने अब तक कुल 57,859 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। यह आंकड़ा भारतीय बाजार के लिए चिंता का विषय हो सकता है, खासकर तब जब घरेलू निवेशक भी सतर्कता बरत रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि एफपीआई की यह रणनीति बाजार में अस्थिरता और वैश्विक आर्थिक संकेतकों के आधार पर तय की जा रही है। हालांकि, डेट और म्यूचुअल फंड में निवेश यह दर्शाता है कि भारत की दीर्घकालिक आर्थिक संभावनाओं पर उनका भरोसा अभी भी कायम है।
Source: Mint