यह बिकवाली कमजोर तिमाही नतीजे, ग्लोबल बिजनेस टेंशन और कॉरपोरेट बदलाव के चलते आई है. इन कारणों के नतीजतन, निफ्टी IT इंडेक्स में जुलाई महीने में 9.4 फीसदी की तेज गिरावट दर्ज हुई, जो फरवरी 2025 के बाद सबसे बड़ी मासिक गिरावट और इस साल दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है.
IT के साथ ही FIIs ने फाइनेंस, तेल एवं गैस और रियल एस्टेट सेक्टर के शेयरों में भारी बिकवाली की है. फाइनेंस सेक्टर में जुलाई के दूसरे हाफ में 6,700 करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली हुई, जो पहले की मामूली खरीद को पलट दिया.
तेल एवं गैस सेक्टर में 4,177 करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली दर्ज हुई, जबकि रियल्टी सेक्टर में 3,684 करोड़ रुपये के शेयर बेचे गए.
और कौन से सेक्टर रडार पर?
ऑटो और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टरों में भी जुलाई महीने में निरंतर बिकवाली का दबाव बना रहा है. FIIs ने ऑटो सेक्टर में दूसरे हाफ में 2,425 करोड़ रुपये और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में 1,322 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जो पहले हाफ के 1,160 करोड़ और 1,292 करोड़ रुपये के मुकाबले है.
इसके विपरीत, कुछ क्षेत्रों जैसे FMCG, कंज्यूमर सर्विसेज, मेटल्स एंड माइनिंग, और टेलीकॉम में जुलाई के दूसरे हाफ में निवेशकों की अच्छी रुचि देखी गई. FMCG सेक्टर में 2,986 करोड़ रुपये की inflow हुई, जो पहले हाफ में 1,428 करोड़ रुपये की बिकवाली के बाद आई है.
कंज्यूमर सर्विसेज, मेटल्स एंड माइनिंग, और टेलीकॉम सेक्टरों में भी निवेश की अच्छी गति बनी रही, जहां क्रमशः 2,064 करोड़, 1,640 करोड़ और 1,190 करोड़ रुपये के निवेश हुए, जो पहले हाफ के आंकड़ों से बढ़ोतरी दर्शाते हैं.
यह विकास ग्लोबल आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय बाजार में FIIs के ट्रेंड को अलाइन करता है, जहां टेक्नोलॉजी और एनर्जी जैसे सेक्टर दबाव में जबकि कंज्यूमर आधारित और कंज्यूमर-फोकस्ड सेक्टरों में निवेश अधिक होता दिख रहा है.
Source: CNBC