जुलाई तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से जो 95,600 करोड़ रुपये निकाले हैं, उनमें से आधे से ज़्यादा सिर्फ़ आईटी स्टॉक में बिकवाकी करके आए हैं. आईटी सेक्टर कभी ग्लोबल इन्वेस्टर्स का पसंदीदा सेक्टर हुआ करता था, लेकिन अब सबसे अधिक बिकवाली इसी सेक्टर में हो रही है.
पिछले महीने आईटी कंपनी के पहली तिमाही के निराशाजनक नतीजों और बड़े पैमाने पर छंटनी की घोषणाओं के बाद आईटी स्टॉक की बिकवाली में तेज़ी आई है. इस दौरान एफआईआई ने लगभग 20,000 करोड़ रुपये मूल्य के आईटी शेयर बेच दिए.
आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने अपने कुल वर्कफोर्स का 2% यानी 12,000 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की है, इस गिरावट से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुई है. साल 2025 में इस स्टॉक का प्रदर्शन 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से इसका सबसे बुरा दौर है.
इसकी कॉम्पिटिटर कंपनी इंफोसिस के शेयर अपने हाई लेवल से 29% गिर गए हैं. HCL टेक्नोलॉजीज के शेयर 27% गिर गए हैं, जबकि विप्रो और और LTIMindtree दोनों में 26% की गिरावट आई है. मिडकैप आईटी शेयरों का हाल भी कुछ ऐसा ही है, OFSS 36%, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स 25% और कोफोर्ज अपने 52-सप्ताह के हाई लेवल से 20% नीचे आ गए हैं.
कोटक सिक्योरिटीज के एनालिस्ट ने कहा कि तिमाही में राजस्व प्रदर्शन कमजोर रहा, पांच बड़ी आईटी कंपनियों में से चार ने तिमाही-दर-तिमाही और पांच में से तीन ने वर्ष-दर-वर्ष आधार पर राजस्व में गिरावट दर्ज की.
कंपनियों ने कमज़ोर मांग के माहौल के लिए कई कारकों का हवाला दिया है, जिनमें टैरिफ़ का असर और कई क्षेत्रों में विवेकाधीन खर्च में कमी शामिल है, जिससे ग्लोबल क्लाइंट द्वारा अपने तकनीकी बजट में कटौती की तस्वीर उभरती है.
कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन लगातार दबाव में रहे हैं. शीर्ष तीन कंपनियों के EBIT मार्जिन में साल-दर-साल गिरावट आई है और लाभप्रदता का दबाव हर क्षेत्र में दिखाई दे रहा है.
Source: Economic Times