Experts views: TCS के नतीजे और कमजोर ग्लोबल संकेत से बाजार में बिकवाली हावी रही। यह दूसरा हफ्ता रहा जहां वीकली आधार पर लगातार दूसरे हफ्ते गिरावट देखने को मिला। TCS के कमजोर नतीजों के बाद शुक्रवार को IT सेक्टर पर कहर टूटा। निफ्टी IT इंडेक्स करीब 2 परसेंट लुढ़का। TCS, विप्रो निफ्टी के टॉप लूजर्स में शामिल हुए। तिमाही आधार पर TCS के भारतीय कारोबार में 31% की गिरावट रही। उधर UK बिजनेस भी सुस्त रहा। ऐसे में आईटी सेक्टर को लेकर क्या है बाजार जानकारों की राय आइए डालते है एक नजर।
सीएनबीसी-आवाज के मैनेजिंग एडिटर अनुज सिंघल ने कहा कि TCS सबसे बड़ी IT कंपनी है। इसका मतलब ये नहीं है कि पूरा सेक्टर खराब होगा। मिडकैप IT में अच्छे नतीजे आ सकते हैं। TCS के कारण पूरे सेक्टर को सजा देना गलत है। अगले एक हफ्ते में IT में बॉटम बन सकता है।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट सुनील सुब्रमणियम ने कहा कि यूएस इकोनॉमी में डर के कारण आईटी कंपनियां खर्च करने से बच रही थी लेकिन यूएस इकोनॉमी के नबंर्स देखें तो वो अच्छे आ रहे है यहीं कारण है कि फेड ब्याज दरों में कटौती की बात नहीं कर रहा। क्योंकि वहां इनफ्लेशन उतनी भले ना घट रही हो लेकिन ग्रोथ में भी ज्यादा दबाव नजर नहीं आ रहा है, ऐसे स्थिति में बदलाव आना है। AI का इंपेक्ट ना केवल सॉफ्टवेयर कंपनी बल्कि मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों पर भी है। इसलिए एआई ड्रिवन कंसल्टिंग एक बहुत बड़ा अपॉर्चुनिटी है।
निफ्टी की तुलना में आईटी शेयरों के अंडरपरफॉर्म का कारण एफआईआई के फ्लो नरम रहने के कारण रही है। हालांकि डीआईआई की बाजार में फ्लो ज्यादा होने के बाद भी उन्होंने आईटी सेक्टर में खरीदारी नहीं की। मेरे ख्याल में आईटी कंपनियां लॉन्ग टर्म में बेहतर करेगी क्योंकि यह सेक्टर एफआईआई का फेवरेट है जब वह भारत में पैसे लगाते है। जब एफआईआई की वापसी होगी , तो आईटी कंपनियों में फिर तेजी आएगी। लिहाजा मेरा नजरिया आईटी सेक्टर में बाय ऑन डिप (गिरावट में खरीदारी) का है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट के सीनियर वीपी गौरांग शाह का कहना है कि अगर आज के तारीख में आईटी क्षेत्र को लेकर के कुछ दिक्कतें हैं तो इसका यह मतलब नहीं होता है कि आगे भी जारी रहेगी। मेरा मानना है कि बाजार में लंबी अवधि में आईटी सेक्टर अच्छा प्रदर्शन करती नजर आएगी। लिहाजा छोटी-मझौले आईटी कंपनियों में निवेश किया जा सकता है।
कैपग्रो कैपिटल एडवाइजर्स के फाउंडर और CIO अरुण मल्होत्रा का कहना है कि अर्निंग ग्रोथ पहले तिमाही से ज्यादा दूसरी तिमाही में बेहतर आती दिखेगी। बैंकिंग सेक्टर में कहीं ना कही लोन ग्रोथ में स्लोडाउन आया है और आरबीआई ने CRR में जो कटौती की है उसका फायदा सेकेंड हाफ में ही मिलता दिखाई देगा जिसके चलते बैंकों के NIM का कंप्रेशन दिखाई दे सकता है।
ग्लोबल अनिश्चितता के कारण बाजार में आ रही वौलेटिलिटी भी सेकेंड हाफ में पूरी तरह खत्म होती नजर आएगी। ऐसे में उम्मीद यही है कि बाजार फेस्टिव सीजन में बाजार अच्छा करता नजर आएगा। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में निवेशकों को 17-18 फीसदी की ग्रोथ देने वाली कंपनियों पर ध्यान देना चाहिए।
(डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सार्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।
Source: MoneyControl