Dr Reddy’s Labs: कैसे रहे फाइनेंशियल नतीजे?
जून तिमाही के दौरान 1,417.8 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के 1,392 करोड़ रुपये की तुलना में 1.8% अधिक है. लेकिन, CNBC-TV18 के अनुमान 1,478.3 करोड़ से कम है. आय की बात करें तो यह भी 8,545 करोड़ रुपये रही. जोकि, पिछले साल की 7,672.7 करोड़ रुपये के मुकाबले 11.4% ज्यादा है. कंपनी के लिए आय का अनुमान 8,676.4 करोड़ था.
कामकाजी मुनाफे की बात करें तो इसमें भी सालाना आधार पर 5% की ग्रोथ दिखी है. जून तिमाही में इस फार्मा कंपनी का EBITDA 2,278 करोड़ रुपये रहा, जोकि पिछले कारोबारी साल की समान तिमाही में 2,160 करोड़ रुपये रहा था. CNBC-TV18 पोल में EBITDA 2,201.6 करोड़ रुपये का अनुमान था. मार्जिन की बात करें 28.2% के मुकाबले 26.7% रही.
क्षेत्रीय प्रदर्शन
- उत्तरी अमेरिका: पहली तिमाही के दौरान बिक्री 11% घटकर 3,410 करोड़ रुपये रही, जो रेवलिमिड जेनेरिक पर मूल्य दबाव के कारण थी. एनालिस्ट ने रेवलिमिड की बिक्री 140-180 मिलियन डॉलर रहने का अनुमान लगाया था, जो पिछले साल 150 मिलियन डॉलर थी.
- भारत: कारोबार में 8-10% की ग्रोथ की उम्मीद थी, जो सैनोफी वैक्सीन पोर्टफोलियो और नेस्ले के साथ जॉइंट वेंचर से समर्थित थी.
- निकोटिनेल अधिग्रहण: इस अधिग्रहण के एकीकरण से आय ग्रोथ को बल मिला.
कंपनी ने पूरे साल के लिए 10% से ज्यादा आय ग्रोथ और स्थिर मार्जिन का अनुमान दिया है. रेवलिमिड जेनेरिक के पेटेंट खत्म होने के बाद भी कंपनी 25% मार्जिन हासिल करने को लेकर आश्वस्त है.
सेमाग्लूटाइड का अवसर
Dr Reddy’s Labs 2026 में सेमाग्लूटाइड (मधुमेह और मोटापा उपचार दवा) बाजार में अग्रणी खिलाड़ी बनने की तैयारी में है. कनाडा, भारत और ब्राजील इसके प्रमुख बाजार होंगे. HSBC ने सेमाग्लूटाइड को “बड़ा अवसर” बताया, जिससे FY27 में 280 मिलियन डॉलर की बिक्री हो सकती है, जिसमें से 224 मिलियन डॉलर अकेले कनाडा से. सबसे अच्छे परिदृश्य में यह 500 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है.
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Source: CNBC