CERC का बड़ा आदेश: अब देशभर में एक जैसी बिजली कीमत – IEX को लगेगा जोर का झटका ?

बिजली बाजार को पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी और उपभोक्ताओं के लिए अधिक फायदेमंद बनाने की दिशा में केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (CERC) ने एक अहम फैसला लिया है. आयोग ने देशभर में बिजली के व्यापार को एकीकृत करने के लिए Market Coupling की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का आदेश जारी किया है.

इस नई व्यवस्था के तहत भारत के सभी बिजली एक्सचेंज – जैसे कि IEX (Indian Energy Exchange), PXIL (Power Exchange India Ltd), और Hindustan Power Exchange – को एक यूनिफॉर्म से जोड़ा जाएगा. इसका उद्देश्य है कि देश में कहीं से भी बिजली खरीदी या बेची जाए, तो एक Uniform Market Clearing Price पर लेन-देन हो.
Market Coupling क्या है?

Market Coupling का सीधा मतलब है कि अलग-अलग एक्सचेंजों में ट्रेडिंग होने के बावजूद सभी से एक जैसी बिजली कीमत तय की जाए. इसके जरिए:

  • सभी एक्सचेंजों में समान दर से लेन-देन होगा,
  • बिजली के ट्रांसमिशन नेटवर्क का बेहतर इस्तेमाल होगा,
  • खरीदार और विक्रेता दोनों को ज्यादा आर्थिक लाभ मिलेगा,
  • पूरा बाजार पारदर्शी और एकीकृत हो जाएगा.

पहले क्या किया गया था?
Market Coupling को लागू करने से पहले, CERC ने दिसंबर 2024 से मार्च 2025 तक एक “Shadow Pilot” ट्रायल चलाया था. इस पायलट में तीन तरह के बाजारों को जोड़ा गया:
1. DAM (Day-Ahead Market) – अगले दिन की बिजली ट्रेडिंग
2. RTM (Real-Time Market) – तुरंत बिजली की ज़रूरत के लिए ट्रेड
3. SCED के साथ RTM Coupling – सिस्टम ऑपरेशन आधारित बिजली सुधार
इस ट्रायल से क्या कुछ निकलकर आया?

  • करीब ₹38 करोड़ का अतिरिक्त लाभ मिला
  • बिजली की बिक्री में हल्की बढ़ोतरी हुई
  • कीमतों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा
  • SCED coupling से हर दिन ₹1.4 करोड़ की बचत संभावित रही

अब आगे क्या होगा?
CERC के आदेश के अनुसार:

  • जनवरी 2026 से DAM में Market Coupling शुरू होगा
  • इसमें तीनों एक्सचेंज एक-एक कर के Market Coupling Operator (MCO) की भूमिका निभाएंगे.
  • RTM और SCED Coupling को बाद के चरणों में लागू किया जाएगा.
  • Term-Ahead Market (TAM) के लिए Grid-India एक नया सॉफ्टवेयर बनाएगा और 3 महीने तक एक नया शैडो पायलट चलाया जाएगा.

IEX के लिए इसमें क्या है निगेटिव?
1. मोनोपॉली खत्म, बराबरी का प्लेटफॉर्म
IEX का अब तक लगभग 90% मार्केट शेयर है (Day-Ahead और Real-Time Market में). Market Coupling लागू होते ही सभी एक्सचेंज मिलकर एक ही Clearing Price बनाएंगे, जिससे खरीदार किसी भी एक्सचेंज से खरीद सकते हैं – इससे IEX की ‘एकाधिकार स्थिति (Dominance)’ कम हो जाएगी.
2. ट्रेड वॉल्यूम और रेवेन्यू में गिरावट का जोखिम
आज ग्राहक IEX को उसकी लिक्विडिटी और कीमत के कारण चुनते हैं. लेकिन जब सभी को एक ही कीमत मिलेगी, तो ग्राहक सस्ता ब्रोकरेज/फीस लेने वाले नए प्लेटफॉर्म जैसे PXIL या HPX पर जा सकते हैं. इससे IEX की ट्रेडिंग फीस से होने वाली आमदनी में गिरावट संभव है.
3. प्रतिस्पर्धा से लाभ की बजाय साझेदारी का दबाव
अब IEX को PXIL और HPX जैसे एक्सचेंजों के साथ कोऑपरेट करना पड़ेगा, जबकि पहले ये सीधे प्रतिस्पर्धी थे. इससे उनके क्लियरिंग, डेटा, सॉफ्टवेयर और ऑपरेशनल कंट्रोल पर सीमाएं आ जाएंगी.
4. शेयर बाजार में निवेशकों की नजर में अनिश्चितता
Market Coupling से पहले तक IEX को एक स्केलेबल, लो-कैपेक्स, हाई-मार्जिन बिज़नेस माना जाता था. अब इस बदलाव के बाद निवेशक यह सोच सकते हैं कि इसका लंबी अवधि का रेवेन्यू मॉडल कमजोर हो सकता है. इससे IEX के शेयर प्राइस पर दबाव बन सकता है.
5. टेक्नोलॉजी और सिस्टम पर नए खर्च
Market Coupling में IEX को भी अपनी सिस्टम इंटीग्रेशन, डेटा रिपोर्टिंग और ऑडिटिंग के लिए नए सॉफ्टवेयर और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करना होगा. इससे कंपनी के मार्जिन घट सकते हैं.

Source: CNBC