BSE Share Crash: BSE समेत ब्रोकरेज कंपनियों के शेयरों में आया भूचाल, जानिए पूरा मामला

SEBI चेयरमैन ने मार्केट डेवलपमेंट को लेकर आज कई अहम बातें कहीं. उनका कहना है कि रेगुलेटर अब कैश मार्केट में वॉल्यूम बढ़ाने और F&O कॉन्ट्रैक्ट की अवधि बदलने जैसे कदमों पर गंभीरता से विचार कर रहा है. इस पर जल्द ही एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया जाएगा. वहीं, इसी बयान के साथ-साथ मार्केट में एक खबर टेंशन बढ़ाने वाली आई है. खबर ये हैं कि विकली एक्सपायरी बंद हो सकती है. हालांकि, सेबी चेयरमैन ने हाल में इस खबर को पुरजोर के साथ खंडन किया था. लेकिन आज के बयान के बाद बीएसई समेत समेत ब्रोकरेज हाउस कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली आई है.

BSE का शेयर दोपहर 12:20 बजे -5 फीसदी गिरकर 2400 रुपये के नीचे आ गया. वहीं, एंजेल वन का शेयर -5 फीसदी गिरकर 2600 रुपये के नीचे आ गया है.
MCX इंडिया का शेयर -3 फीसदी गिरकर 8000 रुपये के भाव पर आ गया है.

इस पूरे मामले पर Crosseas Capital के MD राजेश बहेती ने सीएनबीसी आवाज़ को बताया कि SEBI चेयरमैन ने पहले साफ किया था कि विकली एक्सपायरी बंद करने का कोई प्लान नहीं है, लेकिन हाल ही में सरकार की ओर से आए मनी बिल ने मार्केट को नया संकेत दिया है.
SEBI चेयरमैन के मुख्य बयान-कैश मार्केट पर फोकस – वॉल्यूम बढ़ाने की दिशा में नए कदम उठाने पर विचार.F&O कॉन्ट्रैक्ट की अवधि – टेन्योर (समयसीमा) बदलने की संभावना.इस विषय पर SEBI जल्द ही कंसल्टेशन पेपर लाएगा ताकि बाजार सहभागियों से सुझाव लिए जा सकें.
कैश मार्केट वॉल्यूम बढ़ने से मार्केट की गहराई और स्थिरता बेहतर होगी.F&O कॉन्ट्रैक्ट अवधि में बदलाव से ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी और वॉल्यूम पर असर पड़ सकता है.कंसल्टेशन पेपर आने के बाद ही साफ होगा कि बदलाव छोटे कॉन्ट्रैक्ट्स की ओर होंगे या लंबी अवधि की ओर.
साप्ताहिक एक्सपायरी पर फिर उठे सवाल, राजेश बहेती बोले– बंद हुई तो ब्रोकरेज रेवेन्यू पर 85% तक झटका
फिर टेंशन क्या है? राजेश बहेती कहते हैं कि सरकार के मनी बिल से संकेत मिला है कि रिटेल पार्टिसिपेशन ऑप्शन मार्केट में कम करने की कोशिश हो सकती है.
अगर भारत में विकली एक्सपायरी बंद हुई, तो निवेशक देश के बाहर ट्रेड कर सकते हैं.इससे घरेलू मार्केट के वॉल्यूम पर सीधा असर पड़ेगा.कैपिटल मार्केट वॉल्यूम में गिरावट का खतरा है.
ब्रोकरेज इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ा झटका– कुल रेवेन्यू का 80–85% हिस्सा ऑप्शन ट्रेडिंग से आता है, जिस पर सीधा असर पड़ेगा. अगर साप्ताहिक एक्सपायरी बंद हुई तो लिक्विडिटी घटेगी और वॉल्यूम्स कम होंगे. ब्रोकरेज कंपनियों की आमदनी पर तगड़ा असर पड़ेगा. रिटेल ट्रेडर्स के लिए विकल्प (options) में ट्रेडिंग महंगी और मुश्किल हो सकती है. लंबे समय में कैश मार्केट और मंथली कॉन्ट्रैक्ट्स पर ज्यादा फोकस बढ़ सकता है.

क्यों सिर्फ मंथली एक्सपायरी ही लॉजिकल है-रिटेल निवेशकों की सुरक्षा,ज्यादा एक्सपायरी दिनों का मतलब है रिटेल ट्रेडर्स का “लॉटरी जैसी” ट्रेडिंग में फंसना होता है. डेटा दिखाता है कि छोटे-छोटे कॉन्ट्रैक्ट्स (वीकली/डेली) में रिटेल निवेशक लगातार पैसा गंवाते हैं.
जितनी ज्यादा एक्सपायरी, उतना ज्यादा रिटेल का चक्कर और तेजी से पूंजी का नुकसान.
मैनिपुलेशन का खतरा-हर एक्सपायरी एक सेटलमेंट पॉइंट बनाती है.ज्यादा एक्सपायरी होने पर बड़ी विदेशी या संस्थागत फर्मों (जैसे Jane Street टाइप प्लेयर्स) को वोलैटिलिटी और लो-लिक्विडिटी का फायदा उठाने का मौका मिलता है.
नतीजा: मार्केट की स्थिरता कम होती है और हर एक्सपायरी दिन पर अति-उतार-चढ़ाव.
एक्सचेंजों का फ्रैगमेंटेशन-अगर 4–5 एक्सचेंज आएं और हर एक अपनी अलग मंथली एक्सपायरी रखे.
पहला एक्सचेंज: हर महीने का पहला गुरुवार
दूसरा एक्सचेंज: दूसरा गुरुवार
तीसरा एक्सचेंज: तीसरा मंगलवार
चौथा एक्सचेंज: चौथा शुक्रवार
नतीजा-देश में फिर से वीकली एक्सपायरी जैसा सिस्टम खड़ा हो जाएगा.और अगर और एक्सचेंज जुड़ते गए तो यह धीरे-धीरे डेली एक्सपायरी में बदल सकता है.
मार्केट की गहराई और अनुशासन-एक ही मंथली एक्सपायरी से लिक्विडिटी एक जगह केंद्रित होगी, प्राइस डिस्कवरी बेहतर होगी और हेजिंग भी आसान.विकसित देशों में वीकली ऑप्शंस हैं, लेकिन वहां रिटेल का हिस्सा कम और इंस्टीट्यूशनल डॉमिनेंस ज्यादा है.भारत जैसे मार्केट में जहां रिटेल की बड़ी भागीदारी है, वहां यह खतरनाक हो सकता है.
बार-बार एक्सपायरी से एक्सचेंज और ब्रोकर्स को ज्यादा कमाई होती है,लेकिन रिटेल की पूंजी का नुकसान सामाजिक लागत है, जो कहीं ज्यादा बड़ी है.रेगुलेटर की प्राथमिकता होनी चाहिए – स्थायी और स्वस्थ भागीदारी, न कि सिर्फ शॉर्ट-टर्म वॉल्यूम.
एक ही मंथली एक्सपायरी (सभी एक्सचेंजों पर एक साथ) = स्थिर, गहरा और पारदर्शी मार्केट.मल्टीपल एक्सपायरी = बैकडोर वीकली सिस्टम, ज्यादा मैनिपुलेशन और रिटेल का नुकसान.अगर भारत को डेरिवेटिव्स को हेजिंग टूल बनाए रखना है, न कि “जुआघर”, तो SEBI को साफ करना होगा कि सिर्फ एक मंथली एक्सपायरी, एक ही दिन, सभी एक्सचेंजों पर लागू हो.

Source: CNBC