ABS Rule: भारत सरकार दोपहिया वाहनों का लेकर एक नया नियम लाने जा रही है। सरकार 1 जनवरी 2026 से सभी दोपहिया वाहनों के लिए एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम्स (ABS) को अनिवार्य करने की तैयारी में हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार के इस कदम से एंट्री-लेवल के जो मोटरसाइकल और स्कूटर हैं, उनके दाम बढ़ सकते हैं। इसका सीधा असर दोपहिया कंपनियों की मांग और उनके शेयरों पर दिखाई दे सकता है।
एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम्स (ABS) अभी तक सिर्फ 125cc से ऊपर क्षमता वाले दोपहिया वाहनों के लिए अनिवार्य हैं। लेकिन अब सरकार ने सभी तरह के दोपहिया वाहनों के लिए इन्हें अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव रखा है। सरकार का यह कदम इसलिए काफी अहम है क्योंकि अभी तक टू-व्हीलर वाहनों की कुल बिक्री में 125cc से ऊपर क्षमता वाले वाले वाहनों की हिस्सेदारी महज 16 फीसदी है। यानी बाकी 84 फीसदी टू्-व्हीलर अभी तक इस नियम के दायरे से बाहर थे।
लेकिन अब नए प्रस्ताव से 100 सीसी वाले बाइक, स्कूटर और मोपेड भी इसके दायरे में आ जाएंगे, जिनकी काफी बिक्री छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलती है। आमतौर पर इन 100 सीसी बाइकों को खरीदने वाले ग्राहक दाम को लेकर काफी सजग रहते हैं। ऐसे में इसके दाम में इजाफा इन ग्राहकों पर भी सीधा असर डालेगी।
कीमतों में 3 से 6% की संभावित बढ़ोतरी
ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि दाम बढ़ने से नियर-टर्म में कंपनियों की मांग पर असर पड़ सकता है। ब्रोकरेज फर्म नोमुरा का अनुमान है ABS यूनिट की लागत प्रति व्हीकल करीब 3000 रुपये हो सकती है और इसके चलते इनके दाम में 3 से 5 पर्सेंट का इजाफा हो सकता है।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज का अनुमान इससे थोड़ा अधिक है। ब्रोकरेज ने कहा कि इसके चलते दोपहिया वाहनों के दाम में 3 से 5 हजार रुपये या 4 से 6 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है। ब्रोकरेज ने यह भी कहा कि इस दोपहिया कंपनियों के सेल्यू वॉल्यूम में 2 से 4 फीसदी की गिरावट आ सकती है। खासतौर से एंट्री लेवल सेगमेंट में।
Hero MotoCorp पर सबसे ज्यादा असर
अब आते हैं कि किस कंपनी पर इस नियम का सबसे अधिक असर हो सकता है? ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने बताया कि 125 सीसी से कम क्षमता वाली बाइक सेगमेंट में सबसे बड़ी हिस्सेदारी हीरो मोटोकॉर्प की है। पूरे सेगमेंट का करीब 79 पर्सेंट मार्केट शेयर अकेले हीरोमोटो कॉर्प के पास है। ऐसे में इस कंपनी के सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है। इसके अलावा TVS मोटर पर इस फैसले का ठीक-ठाक असर दिख सकता है क्योंकि कंपनी के पोर्टफोलियो 54 से 64 फीसदी हिस्सा इसी के दायरे में आता है।
बजाज ऑटो के पोर्टफोलियो में इस सेगमेंट की हिस्सेदारी 24 से 35 फीसदी है। ऐसे में इसके ऊपर कम असर पड़ने की उम्मीद है। इस पूरे मामले में सबसे सुकू में रॉयल एनफील्ड बनाने वाली कंपनी आयशर मोटर्स हैं क्योंकि इसके सभी प्रोडक्ट 125सीसी से अधिक क्षमता वाले हैं।
इलेक्ट्रिक सेगमेंट पहले से ही दबाव में
टू-व्हीलर कंपनियों के लिए यह नया नियम ऐसा समय में आने जा रहा है, जब यह पूरा सेक्टर पहले से रेयर-अर्थ मैगनेट्स की कमी से चुनौतियों से जूझ रहा है। इसके चलते इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर के उत्पादन में देरी हो रही है और कई कंपनियों ने सप्लाई बेहतर नहीं होने पर उत्पादन के पूरी तरह ठप होने की भी आशंका जताई है। EV कंपनियां इसके चलते कीमतों में 8% तक की बढ़ोतरी की योजना बना रही हैं।
Axis Securities के श्रीधर कल्लानी के मुताबिक, “इसके चलते टू-व्हीलर इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के मार्जिन में 50 से 100 बेसिस पॉइंट की गिरावट आ सकती है।”
ऑटो कंपोनेंट कंपनियों के लिए आपदा में अवसर
लेकिन इस आपदा में ऑटो कंपोनेंट बनाने वाली कंपनियों के लिए एक बड़ा मौका है। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार के नए प्रस्ताव से एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम्स (ABS) की बिक्री में 5 गुना तक का उछाल देखने को मिल सकता है। फिलहाल ABS के मार्केट में Bosch और Continental जैसी कंपनियों का दबदबा है। इसके अलावा एंड्यूरेंस टेक्नोलॉजीज (Endurance Technologies) भी ABS और डिस्क ब्रेक दोनों मार्केट में काफी मजबूत उपस्थिति रखी है
जनवरी 2026 की समयसीमा पर सवाल
Kotak का अनुमान है कि दोपहिया ABS मार्केट का साइज का पांच गुना बढ़कर 80,400 करोड़ तक पहुंच सकता है। ब्रोकरेज ने इसके चलते एंड्यूरेंस टेक्नोलॉजीज ₹1,000–1,770 करोड़ की अतिरिक्त आय और कंसॉलिडेटेड अर्निंग्स में 5–9% की ग्रोथ का अनुमान जताया है। फिलहाल 1 जनवरी की टाइमलाइन को लेकर सरकार और ऑटो इंडस्ट्री के बीच बातचीत अभी जारी है। ऑटो इंडस्ट्री इस डेडलाइन को आगे बढ़ाना चाहती है। देखना होगा कि सरकार का इस पर आखिरी फैसला क्या होगा।
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Source: MoneyControl