बीते कुछ दिनों से एचडीएफसी बैंक का नाम सुर्खियों में है। इसकी वजह बैंक के एमडी और सीईओ शधिधर जगदीशन पर लगे आरोप हैं। उन पर 2 करोड़ रुपये से ज्यादा की घूस लेने का आरोप है। एचडीएफसी बैंक के किसी टॉप एग्जिक्यूटिव पर पहली बार इस तरह का आरोप लगा है। एचडीएफसी बैंक की ब्रांड वैल्यू स्ट्रॉन्ग है। एचडीएफसी बैंक ने अपने सीईओ पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उसने कहा है कि ये आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं। बैंक ने यह भी कहा है कि वह कानूनी प्रक्रिया का सामना करने के लिए तैयार है। आखिर जगदीशन पर किसने आरोप लगाया है? आरोपों में क्या कहा गया है? क्या इस मामले में एफआईआर फाइल हुई है? क्या यह मामला कोर्ट में पहुंच गया है? आइए इन सवालों का जवाब जानते हैं।
किसने लगाया है शशिधर जगदीशन पर आरोप?
सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि मुंबई की एक मेहता फैमिली ने HDFC Bank के एमडी और सीईओ Sashidhar Jagdishan पर 2.05 करोड़ रुपये लेने का आरोप लगाया है। मेहता फैमिली ने लीलावती कीर्तिलाल मेडिकल ट्रस्ट के जरिए जगदीशन पर यह आरोप लगाया है। इसमें कहा गया है कि उन्होंने (जगदीशन) ट्रस्ट के एक मौजूदा ट्रस्टी के पिता को परेशान करने के लिए यह पैसे लिए थे। एचडीएफसी बैंक ने जगदीशन का बचाव किया है। उसने इस बारे में बयान जारी किया है। बैंक का कहना है कि उसके सीईओ पर आरोप लगाने का मुख्य मकसद लोन रिकवरी के प्रोसेस को बाधित करना है।
HDFC Bank ने किस कंपनी को दिया था लोन?
लोन का यह मामला क्या है? मेहता परिवार की की कंपनी ब्यूटीफुल डायमंड्स ने एचडीएफसी बैंक से 1995 में लोन लिया था। अब इस कंपनी का नाम बदलकर Splendour Gems Limited हो गया है। कंपनी ने साल 2001 में इस लोन पर डिफॉल्ट कर दिया। इसका मतलब है कि उसने लोन की किस्त चुकाना बंद कर दिया। इस मामले के सामने आने पर एचडीएफसी बैंक ने इस लोन के बारे में बताया है। उसने कहा है कि 31 मई, 2025 को स्प्लेंडर जेम्स पर लोन के 65.22 करोड़ रुपये बकाया थे। इसमें इंटरेस्ट का अमाउंट भी शामिल है। यह जान लेना जरूरी है कि 2001 में स्प्लेंडर जेम्स के लोन नहीं चुकाने पर एचडीएफसी बैंक ने कानूनी रास्ता अपनाया था। इसके बाद डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल ने 2004 में बैंक को रिकवरी सर्टिफिकेट जारी कर दिया था।
एचडीएफसी ने अपने बयान में क्या कहा है?
एचडीएफसी बैंक ने कहा है कि मेहता परिवार लोन का पैसा चुकाने को तैयार नहीं था। लोन रिकवरी प्रोसेस में बाधा पहुंचाने के लिए इस परिवार ने एचडीएफसी बैंक और उसके अधिकारियों के खिलाफ अलग-अलग मंचों पर कानूनी और आपराधिक शिकायतें करता आ रहा है। बैंक ने यह भी कहा है कि इसमें से कई शिकायतें खारिज कर दी गई हैं, जबकि कुछ में मामला चल रहा है। मीडिया की खबरों के मुताबिक, जगदीशन और दूसरे लोगों पर जो नई FIR फाइल की गई है, वह 30 मई, 2025 को कोर्ट के आदेश पर की गई है। कोर्ट ने इस मामले में लगे कथित फाइनेंशियल फ्रॉड की जांच करने का भी आदेश दिया है।
ट्रस्ट के दो धड़ों में चल रहे विवाद की क्या वजह थी?
अब लीलावती कीर्तिलाल मेडिकल ट्रस्ट के बारे में जान लेते हैं। इस ट्रस्ट को दो धड़ों में काफी समय से टकराव की स्थिति चल रही थी। दरअसल, किशोर मेहता और विजय मेहता के बीच लड़ाई की मुख्य वजह एलकेएमएम ट्रस्ट पर कंट्रोल की कोशिश थी। यह ट्रस्ट मुंबई का मशहूर लीलावती हॉस्पिटल चलाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, किशोर मेहता के धड़े ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2023 में इस ट्रस्ट का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया। इसके बाद इस धड़े ने फॉरेंसिक ऑडिट कराने का फैसला किया।
ट्रस्ट के फॉरेंसिक जांच में कितने अमाउंट का घोटाला सामने आया?
LKMM के फॉरेंसिक ऑडिट से ट्रस्ट में 1,200-1,500 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया। हॉस्पिटल में जादू-टोना (Black Magic) के कुछ दावों के बारे में भी पता चला। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हुई। ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टीज ने इन आरोपों को खारिज किया है। ध्यान देने वाली बात है कि किशोर मेहता ही ब्यूटीफुल डायमंड के प्रमोटर थे, जिसने 1995 में एचडीएफसी बैंक से लोन लिया था। 2001 में डिफॉल्ट के बाद 2004 में DRT ने मेहता और उनके बेटे राजेश मेहता को एचडीएफसी बैंक को लोन के 14.74 करोड़ रुपये चुकाने का आदेश दिया था। इस पैसे के नहीं चुकाए जाने पर फरवरी 2020 में DRT ने पिता और बेटे की गिरफ्तारी तक का आदेश दिया था। लेकिन, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी।
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एचडीएफसी बैंक की साख पर कितना असर पड़ा है?
कुल मिलाकर यह मामला लोन के रीपेमेंट से जुड़ा लगता है। हालांकि, जगदीशन पर लगे आरोपों की जांच चल रही है। जांच के नतीजें सामने आने के बाद ही सच्चाई सामने आएगी। खासकर यह पता लगेगा कि ट्रस्ट का यह दावा कितना सही है कि ट्रस्ट के एक सदस्य के पिता को परेशान करने के लिए जगदीशन को 2.05 करोड़ रुपये दिए गए थे। फिलहाल इस मामले के सामने आने के बाद भी HDFC Bank के शेयरों पर किसी तरह का असर नहीं पड़ा है। इसका मतलब है कि स्टॉक मार्केट्स और इनवेस्टर्स को एचडीएफसी बैंक और उसके टॉप मैनेजमेंट पर पूरा भरोसा है। आमतौर पर ऐसे आरोपों के सामने आने के बाद शेयर में बड़ी गिरावट आती है। IndusInd Bank का मामला ताजा उदाहरण है।
Source: MoneyControl