FIIs Data: क्यों नहीं थम रही एफआईआई की बिकवाली, खास रिपोर्ट में जानिए कौन से शेयर बेचे

भारतीय शेयर बाजार पर विदेशी निवेशकों (FII/FPI) की बिकवाली का दबाव लगातार बढ़ रहा है. Antique Research की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त में FIIs ने ₹34,733 करोड़ और जुलाई में ₹47,667 करोड़ के शेयर बेचे. लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर बाजार में अनिश्चितता बढ़ी हुई है और यही वजह है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. Motilal Oswal Financial Services के को-फाउंडर रामदेव अग्रवाल का कहना है कि असली खेल कंपनियों की कमाई (earnings) का है. अगर आने वाले 1–2 महीनों में डील हो जाती है तो बाजार और earnings पर कोई बड़ा असर नहीं होगा, लेकिन देरी हुई तो कमाई की ग्रोथ पर दबाव आ सकता है और निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ जाएगा.

NSE-500 शेयरहोल्डिंग पैटर्न
प्रमोटर्स: 49%
DII (घरेलू संस्थागत निवेशक): 19%

FII (विदेशी संस्थागत निवेशक): 19%
अन्य: 13%
कौन से देश के एफआईआई भारत में सबसे ज्यादा पैसा लगाते है
अमेरिका: 41%
सिंगापुर: 8%
लक्ज़मबर्ग: 7%
आयरलैंड: 6%
मॉरीशस: 5%
यूके: 5%
अन्य: 28%
इससे साफ पता चलता है कि भारतीय बाजार में सबसे ज्यादा पैसा अमेरिकी निवेशकों का लगा है.
सेक्टर के हिसाब से FII हिस्सेदारी
प्राइवेट बैंक: 43%

टेलीकॉम: 23%
कंज्यूमर सर्विसेज़: 20%
रियल्टी: 20%
हेल्थकेयर: 19%
ऑटो: 18%
FMCG: 18%
आईटी: 17%
इसका मतलब है कि FIIs का भरोसा सबसे ज्यादा प्राइवेट बैंकों पर है, जबकि आईटी सेक्टर में उनकी हिस्सेदारी तुलनात्मक रूप से कम है.
जिन शेयरों में सबसे ज्यादा होल्डिंग
360 One Wam: 68.5%
Redington: 62.6%
Five-Star Business Finance: 58.1%
Paytm: 54.9%
Max Healthcare: 54.8%
HDFC Bank: 48.8%
निवेशकों के लिए संकेत-FII की लगातार बिकवाली ने बाजार में दबाव जरूर बनाया है, लेकिन DII की मजबूत खरीदारी संतुलन बनाए हुए है. जिन सेक्टर्स में FII होल्डिंग ज्यादा है (जैसे प्राइवेट बैंक और टेलीकॉम), उनमें उतार-चढ़ाव अधिक देखने को मिल सकता है.Motilal Oswal Financial Services के को-फाउंडर रामदेव अग्रवाल का कहना है कि भारत-अमेरिका ट्रेड डील की टाइमलाइन ही शेयर बाजार की चाल तय करेगी.
उनके मुताबिक –अगर 1–2 महीने में डील हो गई, तो कंपनियों की कमाई (earnings) पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. ये हालात सिर्फ passing moments हैं.लेकिन, डील में देरी (2 महीने से ज्यादा) होने पर कमाई की ग्रोथ पर दबाव आ सकता है और ये मार्केट के लिए मुसीबत बनेगा.उन्होंने कहा – “मार्केट अनिश्चितता (uncertainty) पसंद नहीं करता, और यही वजह है कि अभी गिरावट दिख रही है.”
फिलहाल, बाजार 25% टैरिफ का असर पहले से ही प्राइस कर चुका है.कमाई ही असली ड्राइवर है मार्केट का, और निवेशकों को वहीं ध्यान देना चाहिए.FII निवेशक तभी वापस आएंगे जब अनिश्चितता कम होगी, जबकि घरेलू लिक्विडिटी अभी भी बाजार में मजबूत सपोर्ट बनी हुई है. साफ है कि रामदेव अग्रवाल का फोकस है earnings पर नज़र रखो, शॉर्ट-टर्म शोर पर नहीं.

Source: CNBC