सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 12 महीनों में DIIs ने सेकेंडरी मार्केट में कुल 80 अरब डॉलर का निवेश किया है. यह आंकड़ा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली यानी 40 अरब डॉलर की तुलना में दोगुना है.
रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली के बीच DIIs की आक्रामक खरीदारी का स्तर अब तक के किसी भी पिछले दौर से कहीं अधिक है. यह 2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस और 2022 की बड़ी बिकवाली से भी आगे निकल गया है.
हालांकि घरेलू निवेशकों का मजबूत समर्थन बना हुआ है, लेकिन हाल के महीनों में विदेशी निवेशकों की आक्रामक बिकवाली ने बाजार की बढ़त को सीमित कर दिया है. पिछले एक साल में लगभग सभी कैटेगरी के इंडेक्स फ्लैट से लेकर नेगेटिव रिटर्न तक ही दे पाए हैं. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का कहना है कि यह विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली के दबाव को दर्शाता है, भले ही घरेलू निवेशकों ने उसका अधिकांश हिस्सा सोख लिया हो.
रिपोर्ट में कहा गया कि जुलाई 2025 से पहले तक विदेशी निवेशकों भारतीय बाजार में खरीदार थे. कारोबारी साल 2026 की पहली तिमाही में विदेशी निवेशकों और DIIs दोनों ने अलग-अलग कैटेगरी में निवेश बढ़ाया था, जबकि इक्विटी की सप्लाई प्रमोटरों, व्यक्तिगत निवेशकों (स्मॉलकैप को छोड़कर) और एफडीआई से आई थी.
महीने के हिसाब में उतार-चढ़ाव का डेटा
अप्रैल से जून 2025 तक विदेशी निवेशकों ने लगातार 1.2 से 2.3 अरब डॉलर तक का निवेश किया. जुलाई में यह ट्रेंड पलट गया और 2.9 अरब डॉलर की बिकवाली हुई. अगस्त में भी बिकवाली जारी रही.
जुलाई 2025 में जहां भारत से विदेशी निवेशकों ने 2.9 अरब डॉलर निकाले, वहीं ताइवान ($18.3 अरब), जापान ($16.1 अरब) और दक्षिण कोरिया ($4.5 अरब) में बड़े पैमाने पर निवेश हुआ. अगस्त में भारत और दक्षिण कोरिया से निकासी हुई, जबकि जापान में $12.5 अरब और इंडोनेशिया में $515 मिलियन का निवेश आया.
SIP बना मजबूती का सहारा
DIIs की लगातार मजबूत खरीदारी के पीछे मुख्य वजह म्यूचुअल फंड इक्विटी स्कीम्स में व्यवस्थित निवेश योजना (SIP) का लगातार बढ़ना है. भारतीय घर-परिवार अब परंपरागत बचत साधनों से हटकर इक्विटी की ओर रुख कर रहे हैं. एसआईपी के जरिए निवेश का यह ढांचा घरेलू तरलता (Liquidity) के आधार को मजबूत बना रहा है.
Source: CNBC