टेलीकॉम सेक्टर के पेनी स्टॉक में हैवी बाइंग, कंपनी पैसे जुटाने का कर रही प्लान, ब्रोकरेज ने स्टॉक को होल्ड करने की दी सलाह

नई दिल्ली:टेलीकॉम सेक्टर की कंपनी Vodafone Idea Ltd के स्टॉक में मंगलवार को तेज़ी देखने को मिल रही है. यह तेज़ी तब देखने को मिल रही है जब कंपनी के सीईओ अक्षय मूंदड़ा ने बताया है कि कंपनी बैंकों के अलावा दूसरे सोर्स से पैसे जुटाने के तरीकों की तलाश कर रही है, ताकि वह अपनी विस्तार और सुधार योजनाओं (कैपेक्स) पर खर्च जारी रख सके. ख़बर लिखे जाने तक भी कंपनी के शेयर हरे निशान पर ट्रेड कर रहे थे.

पैसे जुटाने का प्लान

अप्रैल-जून 2025 के लिए वोडाफोन आइडिया की आय कॉल के दौरान, अक्षय मूंदड़ा ने बताया कि कंपनी अभी भी बैंकों से लोन लेने के बारे में बात कर रही है, लेकिन बैंक अभी और पैसा देने को तैयार नहीं हैं. वह पहले कंपनी के एजीआर (एडजस्टिड ग्रोस रेवेन्यू) मुद्दे पर स्पष्टता चाहते हैं, जो सरकार के साथ एक लंबे समय से चला आ रहा भुगतान विवाद है.
मूंदड़ा ने कहा कि वोडाफोन आइडिया नॉन बैंकिंग सोर्स से थोड़ी कम राशि जुटा सकती है, जो पहले की 25,000 करोड़ रुपये की योजना से कम होगी. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कंपनी का नेटवर्क विस्तार (पूंजीगत व्यय) पर मौजूदा खर्च बिना किसी रुकावट के जारी रहे. उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि वोडाफोन आइडिया अपने नेटवर्क में निवेश जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है, जैसा कि वह पिछले साल से कर रही है.

वोडाफोन आइडिया (Vi) ने आधिकारिक तौर पर सरकार से मार्च 2026 की समयसीमा से पहले AGR मुद्दे को सुलझाने का अनुरोध किया है. मूंदड़ा ने कहा कि अगर ऐसा होता है, तो इससे बैंकों का भरोसा बढ़ेगा और कंपनी को वित्तीय सहायता मिलना आसान हो जाएगा.

ब्रोकरेज ने क्या कहा?

घरेलू ब्रोकरेज फर्म नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज़ ने कहा कि नए लोन मिलने में देरी के कारण वोडाफोन आइडिया का भविष्य अभी भी अनिश्चित है. उन्होंने यह भी कहा कि सीईओ का बदलाव, एजीआर भुगतान और स्पेक्ट्रम बकाया जैसे महत्वपूर्ण कारण हैं जिन पर ध्यान देना होगा. ब्रोकरेज ने निवेशकों को स्टॉक को “होल्ड” करने की सलाह दी है, लेकिन उसने शेयर के लिए अपने टारगेट प्राइस को पहले के 7.5 रुपये से घटाकर 7 रुपये कर दिया है.
नुवामा ने कहा कि अगर वोडाफोन आइडिया को नए लोन नहीं मिलते हैं, तो वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में वह अपने नेटवर्क खर्च (पूंजीगत व्यय) को कम कर सकती है, क्योंकि उसे निवेश के लिए अपनी रेग्यूलटर बिजनेस इनकम (कैश फ्लो) का इस्तेमाल करना होगा.

(ये एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज के निजी सुझाव/ विचार हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिंदी के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. किसी भी फंड/ शेयर में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय जरूर लें.)

Source: Economic Times