साफ है कि सरकार अब मांग और खपत में सुस्ती को मान रही है.टैक्स और फिस्कल डेफिसिट:-डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन बहुत मजबूत नहीं रहा है. सरकार फिस्कल डेफिसिट के लक्ष्य को लेकर गंभीर है और इसमें ढिलाई नहीं देगी.रिपोर्ट्स के मुताबिक GST कटौती से सरकार को 1.5 लाख करोड़ रुपये का घाटा होगा. इसमें से आधा नुकसान केंद्र और आधा राज्यों को झेलना होगा.
निखिल गुप्ता का मानना है कि ज्यादा खपत होने से भी केंद्र का 75,000 करोड़ रुपये का घाटा पूरा नहीं होगा.
इकोनॉमी पर असर-टैरिफ का असर सालाना आधार पर GDP में 60 बेसिस पॉइंट्स (bps) तक हो सकता है.FY26 की ग्रोथ लगभग 35 bps घट सकती है.
RBI पॉलिसी:-जून में RBI गवर्नर ने CRR कट का एलान किया था, लेकिन अभी उसका असर बाजार में दिखा नहीं है.अक्टूबर में ब्याज दर कटौती की उम्मीद नहीं है.RBI का ग्रोथ फोरकास्ट अभी भी काफी optimistic है.
अश्विनी अग्रवाल कहते हैं कि मार्केट करेक्शन खत्म: अब लगता है बड़ी गिरावट का दौर पीछे छूट चुका है. अगले 6 महीने में रिकवरी देखने को मिलेगी.साल की दूसरी छमाही में अच्छी रिकवरी की उम्मीद है, खासकर कंजम्पशन सेक्टर के लिए.
फाइनेंशियल्स पर भरोसा-मौजूदा माहौल में बैंकिंग और NBFCs अच्छे लग रहे हैं.NBFCs अभी अंडरवैल्यूड हैं और नेगेटिव फैक्टर्स काफी हद तक प्राइस-इन हो चुके हैं.
ट्रैवल और टूरिज्म में मौका-एयरलाइन और होटल स्टॉक्स को लेकर पॉजिटिव हैं.कंज्यूमर ट्रेंड्स बदल रहे हैं और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में डिमांड बढ़ रही है.होटल सेक्टर में कैपेसिटी ऐडिशन अभी धीमा है, जिससे मांग की तुलना में सप्लाई कम रहेगी और ग्रोथ को फायदा होगा.
आसान शब्दों में कहें तो, CLSA सावधान कर रहा है कि GST कटौती से सरकार की जेब पर दबाव पड़ेगा और GDP ग्रोथ थोड़ी धीमी हो सकती है. वहीं, Demeter Advisors का मानना है कि मार्केट में गिरावट खत्म हो गई है और अगले 6 महीने में रिकवरी देखने को मिलेगी, खासकर फाइनेंशियल्स, ट्रैवल और कंजम्पशन सेक्टर में.
Source: CNBC